Dr Nirmala Didi of Brahma Kumaris Passes Away: ब्रह्माकुमारीज की संयुक्त मुख्य प्रशासिका डॉ. निर्मला दीदी का देवलोकगमन

Dr Nirmala Didi of Brahma Kumaris Passes Away: ब्रह्माकुमारीज संस्थान की संयुक्त मुख्य प्रशासिका डॉ. निर्मला दीदी का 88 वर्ष की उम्र में देवलोकगमन हो गया।

Dr Nirmala Didi of Brahma Kumaris Passes Away: निर्मला दीदी ने अहमदाबाद के हॉस्पिटल में 20 अक्टूबर 2023 शुक्रवार सुबह 11 बजे अंतिम सांस ली। वे कुछ समय से बीमार चल रहीं थीं। वह 27 वर्ष की आयु में ब्रह्माकुमारीज से जुड़ीं और पूरा जीवन समाज कल्याण में समर्पित कर दिया। वह ब्रह्माकुमारीज की कोर कमेटी मेंबर थीं। उन्‍होंने संस्थान के संस्थापक ब्रह्मा बाबा से ज्ञान प्राप्त किया। सरलता, विनम्रता और उदारता की प्रतिमूर्ति डॉ. निर्मला दीदी के जीवन से प्रेरणा लेकर हजारों लोगों ने अपना जीवन आनंदमय बनाया। उनका 21 अक्‍टूबर, शनिवार शाम 4 बजे माउंट आबू के मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार किया जाएगा।

वर्ष 1935 में मुंबई में हुआ था जन्म

मुंबई के प्रसिद्ध व्यापारी परिवार में वर्ष 1935 में जन्मी डॉ. निर्मला दीदी बचपन से ही प्रतिभावान रहीं। छोटी उम्र से ही खेलकूद के साथ पढ़ाई में विशेष रुचि रखती थीं। वर्ष 1962 में उन्‍होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। इसी वर्ष वह ब्रह्माकुमारीज के संपर्क में आईं।

मुंबई में उन्‍होंने वर्ष 1962 में प्रथम मुख्य प्रशासिका मातेश्वरी जगदम्बा सरस्वती (मम्मा) से ज्ञान प्राप्त किया। मम्‍मा से प्रभावित होने के बाद उनका रूझान अध्यात्म में और अधिक बढ़ा। मम्मा के प्रवचन व उनके पवित्र जीवन ने उन्‍हें और भी अधिक प्रभावित किया। निर्मला दीदी को बचपन से ही समाजसेवा का शौक था।

1964 में पहली बार ब्रह्मा बाबा से मिली

वर्ष 1962 में संस्थान से राजयोग मेडिटेशन की शिक्षा लेने के बाद वह वर्ष 1964 में पहली बार माउंट आबू पहुंचीं। वहां ब्रह्मा बाबा से मुलाकात के बाद उन्‍होंने समर्पित रूप से सेवाएं देने का संकल्प किया। वर्ष 1966 के बाद से वह संपूर्ण समर्पित रूप से अपनी सेवाएं दे रहीं थीं।

सेवा साधना के इस पथ पर चलने के उनके इस संकल्प में माता-पिता ने भी सहर्ष स्वीकृति दे दी। यह वह समय था जब महिलाओं का विश्वसेवा में तपस्या की राह पर चलते हुए अपना जीवन समर्पित करना साहसपूर्ण निर्णय होता था।

लंदन से शुरू हुआ राजयोग संदेश, 70 देशों में पहुंचाया

उच्च शिक्षित होने के कारण तत्कालीन मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी प्रकाशमणि ने डॉ. निर्मला दीदी को विदेश सेवाओं की जिम्मेदारी सौंपी। वर्ष 1971 में वह पहली बार लंदन पहुंचीं, जहां दादी जानकी के साथ कुछ समय सेवाएं देने के बाद उन्‍होंने अफ्रीका, मॉरीशस, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर सहित 70 देशों में लोगों में अध्यात्म और राजयोग मेडिटेशन की अलख जगाई।

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ऑस्ट्रेलिया अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा

अध्यात्म के क्षेत्र में उनकी विशेष सेवाओं को देखते हुए सरकार ने उनको ऑस्ट्रेलिया अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा। करीब 12 साल से आप संस्थान के माउंट आबू स्थित ज्ञान सरोवर परिसर की निदेशिका और तीन साल से संयुक्त मुख्य प्रशासिका की जिम्मेदारी संभाल रहीं थीं।

लोगों को भारतीय संस्कृति से जोड़ा

दृढ़ इच्छा शक्ति, आत्मबल, उच्च कोटि का चरित्र बल का परिणाम है कि उन्‍होंने चंद वर्षों में हजारों लोगों को राजयोग के माध्यम से पश्चिमी संस्कृति से निकालकर भारतीय संस्कृति से जोड़कर उनके जीवन का सकारात्मक परिवर्तन किया।

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पूरा जीवन विश्व कल्याण में लगा दिया

डॉ. निर्मला बहन ने अपना पूरा जीवन विश्व के कल्याण में लगा दिया। उन्‍होंने वर्षों तक विदेश में रहकर ईश्वरीय सेवाएं कीं। उनके ज्ञान और जीवन से प्रभावित होकर हजारों लोगों को आध्यात्मिक पथ पर चलने की प्रेरणा मिली। उनका सरल और विनम्र स्वभाव सभी को प्रभावित करता था। ऐसी आध्यात्मिक जगत की महान आत्मा को भावपूर्ण श्रद्धांजली।

 

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