
Shafali Verma: कहते हैं, अगर सपनों में जान हो और हौसले बुलंद हों, तो मंज़िलें खुद रास्ता दिखा देती हैं। ऐसा ही कर दिखाया है शेफाली वर्मा (Shafali Verma) ने, जो आज भारतीय महिला क्रिकेट टीम की ‘सिक्सर क्वीन’ के नाम से जानी जाती हैं। हरियाणा के रोहतक जिले के एक छोटे से गांव में जन्मी शेफाली ने अपने बल्ले से दुनिया को दिखा दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती।
शेफाली का क्रिकेट सफर आसान नहीं था। बचपन में जब बाकी लड़कियां गुड्डे-गुड़ियों से खेलती थीं, तब शेफाली ने अपने पिता के साथ क्रिकेट बैट थाम लिया था। उनके पिता ने ही उनमें छिपे टैलेंट को पहचाना और हर मुश्किल के बावजूद उन्हें मैदान तक पहुंचाया।
शेफाली वर्मा ने भारत का नाम किया रोशन (Shafali Verma)
शुरुआत में शेफाली को लड़कियों के लिए कोई क्रिकेट अकादमी नहीं मिली, इसलिए उन्होंने लड़कों के साथ खेलना शुरू किया। विरोध भी हुआ, लेकिन उन्होंने सबकी बातों को नज़रअंदाज़ किया और अपने खेल से जवाब दिया। जल्द ही उनका प्रदर्शन इतना शानदार रहा कि 15 साल की उम्र में ही उन्हें भारतीय महिला क्रिकेट टीम में जगह मिल गई — और वो बनीं भारत की सबसे कम उम्र की टी-20 इंटरनेशनल खिलाड़ी।
2020 के ICC महिला टी-20 वर्ल्ड कप में उनके छक्कों ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा। शेफाली ने न सिर्फ रिकॉर्ड तोड़े, बल्कि महिला क्रिकेट को नया आत्मविश्वास दिया। आज वो टीम इंडिया की एक अहम खिलाड़ी हैं, जिनकी आक्रामक बल्लेबाज़ी और आत्मविश्वास नई पीढ़ी की पहचान बन गई है।
शेफाली वर्मा की कहानी सिर्फ क्रिकेट की नहीं, बल्कि उस हर लड़की की कहानी है जो समाज की सीमाओं से आगे बढ़कर अपने सपनों को साकार करती है।
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