दुनिया की सबसे पुरानी सीरीज The Ashes की शुरुआत 16 जून से होने जा रही है. यह इस टूर्नामेंट का 73वां सीजन है. पिछला सीजन ऑस्ट्रेलिया ने 4-0 से जीता था और इस बार का मेजबान इंग्लैंड है.
टूर्नामेंट की इस सीरीज की शुरुआत 140 साल पहले 1882 में हुई थी. दुनिया का पहला टेस्ट मैच भी ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया था. यह मुकाबला 15 से 19 मार्च 1877 को मेलबर्न में खेला गया. बाद में इसी सीरीज का नाम ‘एशेज’ पड़ा.
आखिर क्यों पड़ा सीरीज का नाम ‘Ashes’
इस सीरीज का नाम एशेज रखने के पीछे भी एक रोचक कहानी है. इस सीरीज को यह नाम देने का श्रेय ‘द स्पोर्टिंग टाइम्स’ की खबर और तब के इंग्लिश कप्तान इवो ब्लीग के उस बयान को जाता है, जो उन्होंने ऑस्ट्रेलिया रवाना होने से पहले दिया था.
अगस्त 1882 में ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड को उसी के घर में हराया. तब लंदन से निकलने वाले अखबार द स्पोर्टिंग टाइम्स ने इंग्लिश क्रिकेट के मरने का शोक संदेश प्रकाशित किया, जिसमें पत्रकार रेनिगाल्ड शिर्ले ब्रूक्स ने लिखा, ‘इंग्लैंड क्रिकेट की मौत हो चुकी है और बॉडी को दफना दिया गया है। बची हुई राख (एशेज) ऑस्ट्रेलियन अपने घर ले गए हैं.’
4 महीने बाद दिसंबर 1882 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर रवाना होने से पहले इंग्लैंड के कप्तान इवो ब्लीग ने कहा, ‘अगस्त में ऑस्ट्रेलिया ले जाई गई राख को हम वापस लेने जा रहे है।’ यहीं से टेस्ट सीरीज को एशेज कहा जाने लगा. दिसंबर 1882 में इंग्लैंड टीम ऑस्ट्रेलिया गई और एशेज वापस ले कर आई.
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ट्रॉफी के अंदर है राख
आइए माना जाता है की एशेज ट्रॉफी के अंदर राख है लेकिन वो राख किसकी है यह किसको नही पता. ऐसा भी माना जाता है की पहली एशेज सीरीज में मेलबर्न टेस्ट के बाद कुछ महिलाओं ने लकड़ी की बेल्स को जलाकर उसकी राख ट्रॉफी के अंदर रख दी. लेकिन इसका कोई ठोस सबूत नहीं है.
एशेज की अलसी ट्रॉफी को ओवल मैदान के MCC म्यूजियम में रखा गया है. अब जीतने वाली टीम को उसकी रेप्लिका ट्रॉफी दी जाती है.
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