
Aravalli Mountain Range: देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली पर्वत को लेकर एक बार फिर गंभीर चिंता सामने आई है।पर्यावरण विशेषज्ञों और कई अध्ययनों के मुताबिक, अगर अरावली पर्वत का क्षरण और अवैध खनन इसी रफ्तार से जारी रहा,तो आने वाले वर्षों में दिल्ली और राजस्थान के बड़े हिस्से रेगिस्तान जैसी स्थिति में पहुंच सकते हैं।
अरावली पर्वत क्यों है इतना महत्वपूर्ण? (Aravalli Mountain Range)
अरावली पर्वत श्रृंखला गुजरात से लेकर राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली तक फैली हुई है।यह पहाड़ियां थार मरुस्थल को पूर्व दिशा में फैलने से रोकने वाली एक प्राकृतिक दीवार की तरह काम करती हैं।इसके साथ ही अरावली बारिश को आकर्षित करने, भूजल रिचार्ज करने और स्थानीय जलवायु संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाती है।
लगातार खत्म होती अरावली बनी खतरे की घंटी
बीते कुछ दशकों में अवैध खनन, अंधाधुंध शहरीकरण और जंगलों की कटाई ने अरावली पर्वत को भारी नुकसान पहुंचाया है।हरियाणा और राजस्थान के कई इलाकों में अरावली की पहाड़ियां लगभग समाप्त हो चुकी हैं।विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह सिलसिला नहीं रुका, तो थार मरुस्थल धीरे-धीरे दिल्ली-एनसीआर की ओर बढ़ सकता है।
क्या दिल्ली बन सकती है रेगिस्तान?
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार, अरावली के कमजोर होने से दिल्ली में धूल भरी आंधियां,भीषण गर्मी और प्रदूषण तेजी से बढ़ रहा है।गर्म हवाएं बिना किसी रुकावट के राजधानी तक पहुंच रही हैं।बारिश के पैटर्न में बदलाव और गिरता भूजल स्तर इस खतरे के साफ संकेत हैं।
राजस्थान पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर (Aravalli Mountain Range)
राजस्थान पहले से ही जल संकट और लू की समस्या से जूझ रहा है।अरावली पर्वत मानसून की नमी को रोककर कई इलाकों में बारिश करवाने में मदद करता है।इसके खत्म होने से सूखा, गर्मी और पानी की कमी और भी भयावह हो सकती है।विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि पश्चिमी राजस्थान का मरुस्थल पूर्वी हिस्सों तक फैल सकता है।
सरकार और समाज के लिए चेतावनी
अरावली को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट कई बार सख्त आदेश दे चुका है,लेकिन जमीनी स्तर पर हालात अभी भी चिंताजनक बने हुए हैं।पर्यावरणविदों का कहना है कि अगर अभी ठोस कदम नहीं उठाए गए,तो आने वाली पीढ़ियों को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।
अरावली पर्वत का खत्म होना सिर्फ पहाड़ों का नुकसान नहीं,बल्कि यह दिल्ली और राजस्थान के भविष्य पर सीधा खतरा है।अगर समय रहते संरक्षण नहीं किया गया,
तो रेगिस्तान बनने की आशंका हकीकत में बदल सकती है।
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