Aurangzeb Grave Removal Disputes: आजकल औरंगजेब का मुद्दा पूरे देश में गरमाया है। ‘छावा ‘फिल्म बनने के बाद औरंगजेब के प्रति लोगों में गुस्सा देखने को मिल रहा है।महाराष्ट्र के औरंगाबाद में औरंगजेब ने अपनी पत्नी के लिए बीवी का मकबरा बनवाया था जिसे ढक्कन का तक भी कहा जाता है। औरंगाबाद का नाम अब बदल कर छत्रपति संभाजी नगर रख दिया गया है। औरंगजेब ने अपनी जिंदगी के 37 साल औरंगाबाद में बिताया था और उसे यहां दफनाया भी गया है। अब औरंगजेब का कब्र छत्रपति संभाजी नगर से हटाने को लेकर सियासी संग्राम छिड़ चुका है। तो आईए जानते हैं औरंगजेब की कब्र की पूरी कहानी।
औरंगजेब की कब्र पर क्यों लगाया गया है तुलसी का पौधा? (Aurangzeb Grave Removal Disputes)
औरंगजेब का मकबरा बेहद ही साधारण तरीके से बनाया गया है। यह मकबरा केवल मिट्टी से ढका है और उसके ऊपर एक सफेद चादर से ढका गया है। कब्र के चारों तरफ सब्जा यानी कि तुलसी का पौधा लगाया गया है। इतिहासकारो की माने तो औरंगजेब ने मरते वक्त कहा था कि मेरा कब्र बेहद साधारण होना चाहिए।
उसने कहा कि इस सब्जे यानी कि तुलसी के पौधे से ढक दिया जाए और इसके ऊपर छत न हो। उसके कब्र के पास एक पत्थर लगा हुआ है जिस पर उसका नाम लिखा गया है। औरंगजेब का जन्म 1618 में हुआ और 1707 में उसका निधन हो गया।
औरंगाबाद में ही क्यों बना है औरंगजेब का कब्र
औरंगजेब ने अपनी जिंदगी के 37 साल औरंगाबाद में बताए थे यही वजह है कि औरंगजेब को औरंगाबाद से काफी ज्यादा लगाव है। उसने अपनी बेगम का कब्र भी यही बनवाया है जिसे बीवी के मकबरा के नाम से जाना जाता है। औरंगजेब का कहना था कि उसकी मौत हो तो उसे भारत में कहीं और नहीं बल्कि सूफी संत जैनुद्दीन सिरजी के पास ही दफनाया जाए।
यही वजह है कि उसे औरंगाबाद में ही दफनाया गया है क्योंकि यहीं पर सूफी संत का कब्र है। औरंगजेब जी सूफी संत को मानता था उनकी मौत उसे बहुत पहले हो गई थी। हालांकि 1904-05 में जब लॉर्ड कर्जन आए तो उन्होंने औरंगजेब की कब्र के चारों तरफ संगमरमर का ग्रिल बनवाया और उसे अच्छी तरह से सजा दिया।
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