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Ayodhya Ram Mandir: कितना भव्य होगा अयोध्या का राम मंदिर, जाने राम मंदिर का इतिहास

Ayodhya Ram Mandir

Ayodhya Ram Mandir: नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या भूमि को राम लला की भूमि करार देते हुए हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। फैसले के 3 महीने के भीतर ही राम मंदिर ट्रस्ट बनाया गया जिसके बाद राम मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया काफी जोरों से चल रही है। राम मंदिर ट्रस्ट में 14 सदस्य शामिल है जिनमें निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र, ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास है, कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी और उडुपी पीठाधीश्वर विश्व तीर्थ प्रसन्न आचार्य भी प्रमुख रूप से शामिल है। अयोध्या के राम मंदिर की निर्माण प्रक्रिया दिसंबर 2023 तक पूर्ण होने का अनुमान है और जनवरी 2024 में भगवान राम लला की प्राण प्रतिष्ठा भी हो जाने की संभावना है।

 

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Ayodhya Ram Mandir
Ayodhya Ram Mandir

कितना भव्य होगा अयोध्या का राम मंदिर?
• अयोध्या में भव्य राम मंदिर निर्माण में लगभग 1800 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है।
• राम मंदिर पूरे परिसर का निर्माण 107 एकड़ में होगा जिनमे भगवान राम के मंदिर के अलावा अन्य देवताओं की भी मूर्तियां होंगी।
• प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2020 को राम मंदिर की नींव रखी गई थी।
• राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के अनुसार राम जन्मभूमि परिसर में तकरीबन 5 एकड़ के इलाके में रामलला का मंदिर बनेगा।
• ट्रस्ट की तरफ से राम मंदिर निर्माण के लिए निधि समर्पण अभियान चलाया गया जिसमें अलग-अलग जगहों से कुल 2100 करोड़ रुपए का चंदा इकट्ठा हुआ।
• मंदिर के गर्भगृह में भगवान राम की नई मूर्ति 9 फीट की ऊंचाई पर स्थापित की जाएगी।
• नेपाल के काली गंडक नदी से लाई गई 40 टन से ज्यादा वजनी दो शिलाएं चीन से बनेगी प्रभु श्री राम और मां सीता की मूर्ति।
• जानकी मंदिर के उत्तराधिकारी महंत राम रोशन दास ने बताया कि यह पत्थर करीब 6 करोड़ साल पुराने हैं जिसे भारत सरकार ने नेपाल सरकार की सहमति से यहां लाया है।

 

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Babri Masjid in place of Ram Mandir

राम मंदिर से जुड़ा इतिहास
मान्यताओं के अनुसार भगवान राम की जल समाधि लेने के बाद अयोध्या धीरे-धीरे उजड़ती जा रही थी फिर भी राम जन्मभूमि पर बना महल वैसा ही था। भगवान राम के पुत्र कुश ने अयोध्या का पुनर्निर्माण करवाया जिसके बाद सूर्यवंश की 44 पीढ़ियों ने राज किया और राम जन्म भूमि की देखभाल की।
महाभारत युद्ध के दौरान अभिमन्यु द्वारा सूर्यवंश के आखिरी राजा महाराज बृहद्बल की मृत्यु हो गई जिसके बाद अयोध्या फिर से उजड़ने लगी। जिसके बाद ईशा के लगभग 100 साल पहले राजा विक्रमादित्य ने अयोध्या की खोज की और भव्य राम मंदिर का पुनः निर्माण करवाया।
इतिहासकारों के अनुसार 5 वीं शताब्दी में अयोध्या एक बौद्ध केंद्र के रूप में विकसित हुआ और 5वी से लेकर 7वीं शताब्दी तक यहां लगभग 20 बौद्ध मंदिर और एक भव्य राम मंदिर था, जहां रोज वे लोग दर्शन के लिए आते थे। 11वीं शताब्दी में कन्नौज के राजा जयचंद ने मंदिर से विक्रमादित्य का शिलालेख हटाकर अपना नाम लिखवा दिया।
14वीं शताब्दी के बाद मुगलों का शासन हो गया, जिस दौरान राम मंदिर को तोड़कर उसकी जगह मस्जिद बना दी गई थी।

(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)

 

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