Bavana Stadium: केंद्र सरकार ने दो साल पहले किसानों से किया एमएसपी पर अपने वादे को पूरा नहीं किया है। इससे नाराज होकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानों ने केंद्र के खिलाफ आंदोलन शुरू कर दिया। अब किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली कूच करने जा रहे हैं। उधर केंद्र सरकार ने किसानों को रोकने के लिए बवाना स्टेडियम को अस्थायी जेल बनाने का प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजा था। मगर दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। आईए अब जानते हैं कि आखिर बवाना स्टेडियम को जेल बनाने का फैसला केंद्र सरकार ने क्यों लिया…
क्यों हुआ बवाना स्टेडियम का जिक्र
हरियाणा और पंजाब के कई किसान संगठनों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर दिल्ली कूच कर दिया है। केंद्र सरकार ने किसान मार्च के दौरान पकड़े जाने वाले आंदोलनकारियों को रखने के लिए दिल्ली सरकार से बवाना स्टेडियम को अस्थाई जेल के तौर पर इस्तेमाल करना चाहती थी। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार को जवाब देते हुए कहा कि किसानों की मांगें जायज हैं। दिल्ली में आप की सरकार ने कहा कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन जनता का संवैधानिक अधिकार है। इसलिए किसानों को गिरफ्तार करना गलत है।
किसानों के समर्थन में आप सरकार
आम आदमी पार्टी पहले से किसानों के समर्थन में है। किसानों के दिल्ली कूच को पंजाब में कहीं नहीं रोका गया। वहीं हरियाणा के आप नेतृत्व ने भी किसानों को रोकने के लिए किए जा रहे प्रबंधों को किसान आंदोलन को दबाने की कोशिश करार दिया था। अब दिल्ली की आप सरकार ने किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए बवाना स्टेडियम देने से मना कर दिया है।
किसानों का प्रदर्शन क्यों है जायज
यह कोई पहला मौका नहीं है जब देश का भरणकर्ता यानी देश का किसान सड़को पर उतरने पर मजबूर हुआ है। दो साल पहले भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों ने ऐतिहासिक आंदोलन शुरू किया था। ऐसे में किसानों के आंदोलन से हारकर मोदी सरकार को अंततः घुटने टेकने ही पड़े थे और संसद से पारित किए गए तीनों कानूनों को रद्द करना पड़ा था। दो साल पहले, सरकार ने एमएसपी को गारंटी देने के साथ-साथ कानूनों को भी रद्द कर दिया, इससे किसानों ने आंदोलन वापस ले लिया था। लेकिन किसानों का कहना है कि सरकार ने एमएसपी पर अपने वादे को पूरा नहीं किया है।
क्या है किसानों की मांग
साल 2021 की तर्ज पर ही किसान इस बार भी अपनी कई मांगों के लिए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। विशेष रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी का कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन करने का ऐलान किया गया है। उनकी सबसे बड़ी मांग न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए कानून बनाना है। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि वह केंद्र सरकार से दो साल पहले किए गए वादे को याद दिलाना चाहते हैं। जिसमें सरकार ने किसानों से आंदोलन वापस लेने की अपील की थी। उस वादे को अब तक पूरा नहीं किया गया है। सरकार ने एमएसपी की गारंटी दी थी। किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस लेने की भी बात कही जा रही है।
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