Bilkis Bano: मार्च 2002 में शुरू हुई बिलकिस बानो की लड़ाई ने साहस की गाथा लिख डाली। बलात्कारियों को सजा दिलाकर अपने आत्मसम्मान की लड़ाई में बिलकिस बानो अब बूढ़ी जरूर हो गई मगर न्याय की उम्मीद नहीं टूटी। अब जब गुजरात सरकार के खिलाफ बिलकीस की कानूनी लड़ाई में उन्हें न्याय मिल रहा तो हर तरफ उनकी ही चर्चा हो रही है। बिलकिस बानो की इसी साहसी कहानी पर कंगना रनौत ने फिल्म बनाने का एलान किया है।
असहनीय पीड़ा की दास्तां हैं बिलकिस बानो
बलात्कार सिर्फ एक ‘physical violence’ नहीं बल्कि ‘act of emotional Terrorism’ है। शरीर पर आए घाव, खरोच और निशानों का तो मरहम पट्टी दवाई लगाकर इलाज किया जा सकता है लेकिन आत्मा, अस्मिता और आत्मसम्मान तो उस खुले घाव की तरह होते हैं जिन्हें हल्का सा छू लेने पर भी असहनीय पीड़ा होती है। इन घावों को वक्त नहीं सिर्फ न्याय के मरहम की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया बिलकिस को मरहम
बिलकिस बानो के मन के आघातों को मरहम तब लगा जब बीते दिन सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर बड़ा फैसला सुनाते हुए उन 11 दोषियों की रिहाई को खारिज कर दिया है। जबकि साल 2023 में गुजराज सरकार की माफी नीति के तहत इन 11 दोषियों को रिहा किया गया था। जिसके खिलाफ बिलकिस बानो ने कानूनी लड़ाई करते हुए लम्बा संघर्ष किया।
कंगना बना रहीं बिलकिस बानो पर फिल्म
बिलकिस बानो केस से जुड़ी अब एक और चर्चा चल रही है। अब बॉलीवुड एक्ट्रेस कंगना रनोट ने बिलकिस बानो के ऊपर फिल्म बनाने का फैसला किया है। एक्ट्रेस कंगना रनोट ने अपने ऑफिशियल एक्स अकाउंट पर एक लेटेस्ट ट्वीट किया है। इस ट्वीट में कंगना ने बिलकिस बानो केस पर फिल्म बनाने को लेकर अपनी राय रखी है। अदाकारा ने बताया है कि वह केस पर फिल्म बनानी चाहती हैं और तीन सालों से वह इस मुद्दे की स्क्रिप्ट पर काम भी कर रही हैं।
बिलकिस की फिल्म में OTT की अड़चन
कंगना रनौत के बिलकिस बानो पर फिल्म बनाने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। ओटीटी प्लेटफॉर्म से संपर्क करने के बाद भी किसी न किसी वजह से उन्हें मना कर दिया जा रहा है। जिसकी वजह से इस फिल्म का काम बीच में ही रुका हुआ है।
बिलकिस बानो की कहानी…
साल 2002 में गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ 11 लोगों ने गैंगरेप किया था। उनके साथ 4 अन्य महिलाओं के संग भी इन दरिंदों ने मारपीट और कुकर्म किया। बताया जाता है कि उस दौरान बिलकिस बानो 5 महीने की प्रेग्नेंट भी थीं। इतना ही नहीं उनके सामने परिवार 7 लोगों को मौत के घाट भी उतार दिया गया था। हालांकि बाद में दोषियों को आजीवान कारावास की सजा भी सुनाई गई, लेकिन 2022 में गुजरात सरकार की माफी नीति के आधार पर इन 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया था। अपनी अस्मीयता खोकर भी बिलकिस बानो डरी नहीं आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ने के लिए गुजरात सरकार के खिलाफ भी खड़ी हो गई। न्याय के लिए बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और उन्हें लंबे इंतजार के बाद न्याय मिल गया।
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