
कुन्दन सिंह: देश की मालगाड़ी अब और तेज दौड़ेगी, क्योंकि डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड यानी डीएफसीसीआईएल ने अपने पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर के निर्माण में एक बड़ी तकनीकी उपलब्धि हासिल की है। महाराष्ट्र के खारबाव स्टेशन पर रेलवे ट्रैक के ऊपर करीब 700 टन वजनी ओपन वेब गर्डर को ट्रैवर्स तकनीक के ज़रिए सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है।
ओपन वेब गर्डर की उपलब्धि (DFCCIL)
85 मीटर लंबा यह ओपन वेब गर्डर किसी भी बड़े इंजीनियरिंग चमत्कार से कम नहीं। इसे खारबाव और कामन स्टेशनों के बीच रेलवे लाइन के ऊपर लगाया गया है। दिलचस्प बात ये है कि इस दौरान ट्रेन संचालन पर ज़रा भी असर नहीं पड़ा। ट्रैवर्स विधि यानी Incremental Launching Technique से गर्डर को धीरे-धीरे अपनी जगह पर पहुंचाया गया, यानी भारी स्ट्रक्चर को मिलीमीटर दर मिलीमीटर आगे बढ़ाया गया, और बिना एक भी ट्रेन रोके ये पूरा काम हो गया।
JNPT से वैतरना तक कनेक्टिविटी
ये पूरा खंड देश के सबसे बड़े कंटेनर पोर्ट जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT) को डीएफसी नेटवर्क से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा। इस कनेक्शन से बंदरगाह से औद्योगिक क्षेत्रों तक सप्लाई चेन और भी तेज़, आसान और सस्ती हो जाएगी। इससे न सिर्फ ट्रेनों की गति बढ़ेगी, बल्कि परिवहन लागत और समय दोनों घटेंगे।
लॉजिस्टिक्स में बड़ा बदलाव
डीएफसीसीआईएल की यह कड़ी देश के लॉजिस्टिक्स सेक्टर में गेम चेंजर साबित होगी। अब कंटेनर ट्रैफिक सड़क से हटकर सीधे इस फ्रेट कॉरिडोर पर शिफ्ट होगा। यानी ट्रकों की संख्या घटेगी, ईंधन की खपत और कार्बन उत्सर्जन दोनों कम होंगे। साथ ही, भारी ट्रैफिक वाले हाइवे पर भी राहत मिलेगी।
‘गति शक्ति’ के तहत नई रफ्तार
प्रधानमंत्री ‘गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ के तहत इस तरह की परियोजनाएं देश में मल्टी-मोडल कनेक्टिविटी को मज़बूत करने की दिशा में अहम कदम हैं। डीएफसीसीआईएल की यह उपलब्धि इस बात का सबूत है कि भारत अब जटिल इंजीनियरिंग प्रोजेक्ट्स को अपने दम पर, तय समय सीमा में और अंतरराष्ट्रीय मानकों के साथ पूरा करने की क्षमता रखता है।
जब ये पूरा पश्चिमी फ्रेट कॉरिडोर तैयार हो जाएगा, तो बंदरगाहों तक पहुंचने का वक्त घटेगा, लागत घटेगी, और भारत का उद्योग जगत नई रफ्तार पकड़ेगा। यानि, रेल की ये नई पटरी सिर्फ मालगाड़ी नहीं, भारत की अर्थव्यवस्था को भी आगे बढ़ाने वाली बन गई है।
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