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Hai Dil Ki Baat Gajal Sangrah: गजल संग्रह ‘है दिल की बात’ बन गई सबके दिल की बात

Hai Dil Ki Baat Gajal Sangrah: मृत्युंजय साधक कृत गजल संग्रह 'है दिल की बात' का एक भव्य कार्यक्रम में लोकार्पण किया गया। इस मौके पर मौजूद रहे गणमान्य लोगों ने मौजूदा समाज में साहित्य की स्थिति पर भी अपना-अपना पक्ष रखा।

Hai Dil Ki Baat Gajal Sangrah
Hai Dil Ki Baat Gajal Sangrah

Hai Dil Ki Baat Gajal Sangrah: यूपी के गाजियाबाद के हिंदी भवन में मृत्युंजय साधक कृत गजल संग्रह ‘है दिल की बात’ का लोकार्पण किया गया। साथ ही इस मौके पर दिव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन भी किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तर प्रदेश के पूर्व शिक्षा मंत्री श्री बालेश्वर त्यागी ने की। मुख्य अतिथि रहे भारत एक्सप्रेस के सीएमडी श्री उपेन्द्र राय, अति विशिष्ट अतिथि रहे वरिष्ठ साहित्यकार एवं संस्थापक गौर ग्रुप एवं साहित्य भूषण डॉ बी. एल. गौड़ और महाकवयित्री डॉ मधु चतुर्वेदी विशिष्ट अतिथि रहीं। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कवयित्री डॉ अंजु सुमन साधक ने बेहद सधे अंदाज में किया।

जीवन दर्शन को बयां किया

इस मौके पर भारत एक्सप्रेस न्यूज नेटवर्क के सीएमडी श्री उपेन्द्र राय ने कहा-कवि मृत्युंजय साधक अपनी रचना- हर हृदय में इक कसकती पीर हूं, जोड़ दे जो सबको वही जंजीर हूं के जरिए सामाजिक समरसता का संदेश दे रहे हैं। वहीं- गुण कसौटी पर कसा जो वो खरा रह जाएगा। इस धरा पर इस धरा का सब धरा रह जाएगा। पंक्ति के जरिए जीवन दर्शन को बयां किया।

माता-पिता का लें आशीर्वाद

इस दौरान अति विशिष्ट अतिथि साहित्य भूषण डॉ बी. एल. गौड़ ने भी अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि दुनिया में आप अगर कुछ लेना चाहते हैं, तो माता-पिता का आशीर्वाद लें। कार्यक्रम के अध्यक्ष बालेश्वर त्यागी ने पुस्तक को सराहा वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ मधु चतुर्वेदी ने किताब में वर्णित विषयों का शानदार विश्लेषण किया जिससे दर्शक मंत्रमुग्ध हो गए। कार्यक्रम प्रदीप दीप के गणेश वंदना और मृत्युंजय साधक की सरस्वती वंदना से शुरू हुआ।

स्वर्गीया मालती देवी स्मृति सम्मान का वितरण

इस दिव्य साहित्यिक अनुष्ठान में विविध क्षेत्रों में कार्यरत 251 शख्सियत को सम्मानित किया गया। वहीं 5 प्रतिभावान छात्रों तनिषा पाल, अनुज, समीर, शालिनी और जुबैर को कवि और टीवी पत्रकार मृत्युंजय साधक की माता जी की स्मृति में स्वर्गीया मालती देवी सम्मान दिया गया। जिसमें धनराशि, अंगवस्त्रम्, माला शामिल था।

कविताओं की बही रसधार

लोकार्पण कार्यक्रम के बाद कविता की रसधार बही। कवियों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों पर वार किया वहीं नफरत हटाकर स्नेह की स्थापना की कविताओं के जरिये संदेश दिया।

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