
CBFC Ravindra Bhatkar Resign : फिल्म बॉलीवुड हो हॉलीवुड हो या फिर ट्रॉलीवुड हो सभी फिल्मों को सेंसर बोर्ड से रिलीज करने के लिए सर्टिफिकेट लेना होता है। कई बार इस तरह के सवाल खड़े हुए हैं कि कुछ ऐसी फिल्मों को भी सेंसर बोर्ड से क्लियर सर्टिफिकेट मिल जाता है जिस पर लोग पाबंदी जताते हैं। ऐसे में सेंसर बोर्ड ने एक नया खुलासा किया है, सेंसर बोर्ड ने सीबीएसई के सीईओ रविंद्र भड़कर को उनके पद से हटकर पुराने पद पर तैनात कर दिया है। सेंसर बोर्ड ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि बोर्ड के सीईओ फिल्मों को सर्टिफिकेट देने के लिए घूस लेते थे। आईए जानते हैं कि रविंद्र भटकर कौन है जो फिल्मों को पास करने के लिए मोटी रकम लेते थे…
पैसे लेकर देते थे फ़िल्मों को सर्टिफिकेट
केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (CBFC) में फिल्मों को क्लियर सर्टिफिकेट दिया जाता है। जिसमें बताया जाता है की फिल्म एडल्ट कैटेगरी की है या अंडर एटीन कैटेगरी की है। रविंद्र भटकर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड के सीईओ पद पर तैनात थे। सीईओ रवींद्र भटकर सालों से फिल्मों को प्रमाणित करने के लिए बड़ी रकम वसूलते थे।
सेंसर बोर्ड में सीइओ हैं रविंद्र भाटकर
सेंसर बोर्ड ने रवींद्र भाटकर को घूसखोरी के आरोप में सीइओ के पद से हटा दिया है। रवींद्र रेलवे विभाग से सेंसर बोर्ड में सीइओ के पद पर आए थे। लेकिन अब भारत सरकार के सूचना एंव प्रसारण मंत्रालय द्वारा नोटिस जारी कर रवींद्र को वापस उनके पुराने पद पर जाने के लिए बोल दिया गया है।
कैसे हुआ खुलासा?
कुछ दिनों पहले तमिल एक्टर विशाल ने रविंद्र भाटकर पर गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि अपनी तमिल फिल्म मार्क एंटनी के हिंदी वर्जन को सर्टिफाइड करवाने के लिए उन्हें सेंसर बोर्ड के अफसरों को 6.5 लाख रुपये की रिश्वत देनी पड़ी। इस आरोप के बाद सनसनी मच गई और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने कुछ CBFC के अधिकारियों और तीन अन्य के खिलाफ जांच शुरु कर दी थी।
सीबीआई ने जिन अन्य तीन लोगों की पहचान की है, उसमें मर्लिन मेनगा, जीजा रामदास और राजूत के नाम हैं। अभी तक सीबीएफसी कर्मियों के नामों से पर्दा नहीं उठा है। रवींद्र भटकर का मामला भी इसी घूसखोरी से संबंधित है। इसलिए रविंद्र भाटकर को सीईओ के पद से हटा दिया गया है।
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