Farmers Protest: किसान यूनियनों के 13 फरवरी को प्रस्तावित ‘दिल्ली चलो’ मार्च (Dilli Chalo March) से पहले, हरियाणा और दिल्ली में कई स्थानों पर कंक्रीट के अवरोधक, सड़क पर बिछने वाले नुकीले अवरोधक और कंटीले तार लगाकर पड़ोसी राज्यों से लगी सीमाओं को किले में तब्दील कर दिया गया है। इसके अलावा धारा-144 लागू कर दी गई है और हजारों पुलिसकर्मियों को तैनात किया जा चुका है। एक ओर केंद्र ने किसान यूनियनों की मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को उन्हें एक और बैठक के लिए आमंत्रित किया है, तो दूसरी ओर प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने के लिए सीमाओं को सील करने के कदम की रविवार को विपक्षी दलों और किसान समूहों ने आलोचना की।
हालांकि, अधिकारियों ने निरस्त किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 2020 के आंदोलन का हवाला देते हुए पाबंदियों का बचाव किया। किसानों का वह आंदोलन एक वर्ष से अधिक समय चला था। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और ज्यादातर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसानो संघों ने फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी को लेकर कानून बनाने समेत अपनी मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के सिलसिले में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है।
ये बॉर्डर सील
रविवार को राष्ट्रीय राजधानी के उत्तर-पूर्वी जिले में धारा 144 लागू कर दी गई, जिसमें पुलिस को प्रदर्शनकारियों को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए सभी प्रयास करने का निर्देश दिया गया। 2020-21 के किसानों के आंदोलन स्थलों में से एक, ग़ाज़ीपुर बॉर्डर पर भी बैरिकेट्स लगाए गए हैं और पुलिस की जांच तेज कर दी गई है। हरियाणा के अधिकारियों ने अंबाला के पास शंभू में पंजाब से लगी सीमा सील कर दी है। मार्च को रोकने के लिए जींद और फतेहाबाद जिलों की सीमाओं पर व्यापक इंतजाम किए गए हैं।
इंटरनेट बंद
हरियाणा सरकार ने शांति भंग होने की आशंका के चलते 11 से 13 फरवरी तक 7 जिलों अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में मोबाइल इंटरनेट सेवाएं और एक साथ कई SMS भेजने पर रोक लगा दी है। प्रदर्शनकारियों को पुलिस बैरिकेट्स फांदने से रोकने के लिए घग्गर फ्लाईओवर पर सड़क के दोनों किनारों पर लोहे की चादरें लगाई गई हैं। पानी की बौछारें और दंगा-रोधी ‘वज्र’ वाहन तैनात किए गए हैं। इसके साथ ही, घग्गर नदी के तल की भी खुदाई की गई है ताकि पैदल इसे पार न किया जा सके। हालांकि कुछ लोगों को पैदल नदी पार करते हुए देखा गया।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सभी कदम उठाए जा रहे हैं। साल 2020 में, पंजाब और अंबाला के आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में किसान शंभू सीमा पर एकत्र हुए थे और दिल्ली की ओर मार्च करने के लिए पुलिस बैरिकेट्स को हटा दिया था। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं सिंघू, टिकरी और गाजीपुर पर एक साल तक धरना दिया था।
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डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने आंदोलन के दौरान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का “वादा” किया था। उन्होंने कहा, “किसानों को दिल्ली की ओर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि केंद्र ने उनकी मांगें नहीं मानीं।” किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने शनिवार को कहा था कि केंद्र ने उन्हें अपनी मांगों पर चर्चा के लिए 12 फरवरी को बैठक के लिए आमंत्रित किया है।
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