
Gyanvapi Mosque: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को निर्देश दिए है।
हाईकोर्ट में दायर याचिका में हिंदू पक्ष ने दावा है कि यह ज्ञानवापी के अंदर मौजूद ढांचा एक “शिवलिंग” है। वाराणसी जिला कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में हिंदू पक्ष की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया था।
शुक्रवार के आदेश में हाईकोर्ट ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को बिना किसी नुकसान पहुंचाएं संरचना (कथित शिवलिंग) का सर्वेक्षण करने के लिए “वैज्ञानिक” कार्बन डेटिंग पद्धति का उपयोग करना है।
#WATCH | Vishnu Shankar Jain, representing the Hindu side in the Gyanvapi mosque case, gives details on the Allahabad High Court order allowing ASI to conduct carbon dating of 'Shivling' found in the mosque premises.
"…The ASI has presented several techniques of scientific… https://t.co/LG5wmhqui4 pic.twitter.com/ldYyYJHW7B
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) May 12, 2023
मुस्लिम पक्ष ने किया शिवलिंग होने से इनकार
उधर ज्ञानवापी मस्जिद पक्ष के लोगों ने इस बात से इनकार किया है कि यह ढांचा शिवलिंग या भगवान शिव का अवशेष है। उन्होंने कहा कि संरचना “वजू खाना” में एक फव्वारे का हिस्सा है, जहां लोग नमाज अदा करने से पहले वुजू करते हैं।
बता दें कि यह ढांचा (कथित शिवलिंग) पिछले साल एक निचली अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में कराए गए वीडियोग्राफी सर्वेक्षण के दौरान पाया गया था, जब पांच हिंदू महिलाओं ने मस्जिद परिसर स्थित मां श्रंगार गौरी मंदिर में प्रार्थना करने के लिए प्रवेश की अनुमति मांगी थी
22 मई को वाराणसी जिला जज करेंगे तय
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले विष्णु शंकर जैन ने मीडिया को मस्जिद परिसर में पाए गए ‘शिवलिंग’ की कार्बन डेटिंग करने की अनुमति देने वाले इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर विवरण दिया। बताया कि एएसआई ने कोर्ट के सामने वैज्ञानिक सर्वेक्षण की कई तकनीकें पेश की हैं। अब 22 मई को वाराणसी जिला न्यायाधीश तय करेंगे कि वैज्ञानिक सर्वेक्षण कैसे किया जाएगा।
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