
Kargil Vijay Diwas Speech In Hindi 2023: हर साल भारत में 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। यह आप जानते हैं पर इसे जब भाषण के रूप में लिखेंगे तो ऐसा लिखें कि पढ़ने वाले, सुनने वाले की भुजाएं फड़क उठें, देशभक्ति की भावना हिलोरे लेने लगें। जैसे भाषण देना एक कला है और लिखना भी। अब आइए यहां दिए गए भाषण ड्राफ़ट पर गौर करें और ऐसे ही लिखने का प्रयास करें।
शुरुआती वाक्य
वीर योद्धाओं की भूमि है हमारा देश। दुश्मनों को हमेशा धूल चटाने वाला कभी न झुकने वाला, सिर कटा देंगे पर सर नहीं झुकने देने की बात करने वाले देश के नागरिक हैं हम। हमारी वीरगाथाओं का एक यादगार पन्ना है कारगिल युद्ध। इस युद्ध में भारतीय सशस्त्र बल के सैनिकों ने हजारों फिट की ऊंचाई पर पाकिस्तानी सेना को खदेड़ दिया था और अपनी जमीन उनके कब्जे से वापस छीन लिया था। वर्ष 1999 में जब हमने पाकिस्तान के खिलाफ कारगिल युद्ध जीता था, तब दुनिया भर में भारतीय सेना की बहादुरी की गाथा गायी जाने लगी, चारों ओर भारत का जय जयकार हो रहा था।
यह थी पाक की मंशा
कारगिल युद्ध क्षेत्र दुनिया के सबसे ऊंचे और खतरनाक युद्ध क्षेत्रों में से एक है। यह युद्ध श्रीनगर से 205 किमी दूर कारगिल शहर स्थित टाइगर हिल (Tiger Hill) क्षेत्र में लड़ा गया। बता दें कि यहां की रातें लंबी होती हैं। इसका तापमान -48 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाया करता है। उस दौरान पाकिस्तानी सेना लद्दाख और कश्मीर के बीच के रिश्ते तोड़ना चाहती थी और बाद में धीरे-धीरे कश्मीर पर कब्जा करना चाहती थी। इसके लिए 1998-99 की सर्दियों के दौरान, पाकिस्तानी सेना ने गुप्त रूप से सियाचिन ग्लेशियर पर दावा करने की योजना बनायी। इस क्षेत्र पर प्रभाव जमाने के लिए कारगिल के पास सैनिकों को प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया।
युद्ध का दुर्गम मैदान
पाकिस्तानी सेना ने कहा कि वे सैनिक पाकिस्तानी सैनिक नहीं बल्कि मुजाहिदीन थे। दरअसल, पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस विवाद की तरफ ध्यान चाहता था। दरअसल, वह भारत पर सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र से अपनी सेना वापस बुलाने और भारत को कश्मीर विवाद पर बातचीत करने के लिए मजबूर करने का दबाव डालना चाहता था। तभी पता चला कि इसमें कश्मीरी आतंकी भी शामिल थे। युद्ध का मैदान ऊंचाई पर था। ऐसे में भारतीय सैनिकों को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हथियार ले जाने में परेशानी आने लगी और अन्य सामग्री भी भेजना टेढ़ी खीर लगने लगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति के दबाव के बाद
आरंभिक दिनों में पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा को पार किया, इसे एलओसी कहा जाता है। बाद में वे भारत-नियंत्रित क्षेत्र में प्रवेश कर गए। वहां स्थानीय चरवाहों ने एलओसी पार करने वाले संदिग्ध लोगों के बारे में सेना को सतर्क कर दिया। तभी भारतीय सेना ने लद्दाख से अतिरिक्त सैनिकों को कारगिल क्षेत्र में भेजा। तब उन्हें पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने एलओसी पार कर भारत नियंत्रित क्षेत्र में प्रवेश कर लिया है। फायरिंग शुरू हो गयी और इस तरह भारतीय वायु सेना घाटी से सभी घुसपैठियों को भगाने के लिए इस बड़े युद्ध में शामिल हुई। भारतीय सेना के बढ़ते हमले और तत्कालीन संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दबाव के बाद, पाकिस्तान ने एलओसी क्षेत्र से अपने सैनिकों को वापस ले लिया।
मिला ऑपरेशन विजय का नाम
भारतीय सेना ने उन सभी चौकियों पर फिर से कब्जा कर लिया, जिन पर पाकिस्तानी सेना दावा करने की कोशिश कर रही थी। यह दो महीने का लंबा युद्ध 26 जुलाई 1999 को उस समय समाप्त हुआ जब पाकिस्तानी सेना ने घोषणा की कि उन्होंने विवादित क्षेत्र से अपनी सेना वापस ले ली है। इस ऑपरेशन को ऑपरेशन विजय (Operation Vijay) नाम दिया गया था। कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर जनरल इयान कार्डोजो के साथ भारतीय सेना ने 26 जुलाई 1999 को उस चौकी पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी, जिस पर पाकिस्तान का प्रभुत्व था।
कैसे भूलेंगे ये दास्तां
एलओसी की संहिता का सम्मान नहीं करने और विवादित क्षेत्र पर नियंत्रण करने की कोशिश करने के लिए पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खूब आलोचना हुई। इसी प्रकार एलओसी का सम्मान करने और युद्ध को सफलतापूर्वक लड़ने के लिए सभी देशों ने भारत की प्रशंसा की। बता दें कि इस दिन भारत के प्रधानमंत्री अमर जवान ज्योति पर सभी शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। कारगिल युद्ध एक ऐसी घटना है जिसे भुलाया नहीं जा सकता। दो महीने से अधिक चले इस कारगिल युद्ध में 528 भारतीय सैनिक शहीद हुए। सभी देशवासियों को कारगिल विजय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
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