Lal Bahadur Shastri: लाल बहादुर शास्त्री की मौत आज भी है रहस्य, दूध पीते ही पड़ गए थे बीमार

Lal Bahadur Shastri: आखिरी रात को शास्त्री ने अपनी पत्नी ललिता जी से बात करने की इच्छा जाहिर की थी। मगर ललिता जी ने बात करने से इंकार कर दिया था क्योंकि वह समझौते वाले फैसले से नाराज थीं।

Lal Bahadur Shastri: देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की आज पुण्यतिथि है। लाल बहादुर शास्त्री की 11 जनवरी 1966 की रात ताशकंद में अचानक मृत्यु हो गई थी। वो किसी भी बीमारी से ग्रस्त नहीं थे। उनकी अचानक से हुई मौत आज भी रहस्य बनी हुई है। जिस दिन शास्त्रीजी की मृत्य हुई थी, उस दिन बहुत कुछ हुआ था, जो किसी पहेली की तरह एक गुल्थी बनी हुई है। आईए जानते हैं आखिरी रात को शास्त्री जी के साथ क्या हुआ था…

शास्त्री जी की मौत थी रहस्मयी

लाल बहादुर शास्त्री जी की आखिरी रात रहस्यों से भरी है। लोग ये मानने को तैयार नहीं थे कि उनकी मृत्यु स्वाभाविक तौर हुई थी।आखिरी 03-04 घंटों में उनके साथ जो भी हुआ, वह सब संदेह उत्पन्न करते हैं। अपने आखिरी समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद समझौते के लिए सोवियत संघ के शहर ताशकंद गए हुए थे। वहां उन्होंने 10 जनवरी 1966 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते को लेकर उन पर काफी दबाव भी था। जिसकी वजह से उनका परिवार तक उनसे नाराज था।

पाकिस्तान से समझौता के बाद ही हुई मौत

पाकिस्तान से समझौता होने के बाद वाली रात को ही लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत की खबर मिली। इस वक्त तमाम अखबारों में यह खबर प्रकाशित की गई कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई। मगर मौत से पहले शास्त्री जी बिलकुल ठीक थे और उन्होंने खुद सारे काम किए थे। यहां तक आखिरी सेकंड से कुछ घंटे पहले शास्त्री जी को खांसने में दिक्कत हो रही थी, वो खुद डॉक्टर को पूछने भी गए थे, मगर डॉक्टर नहीं मिले और वह कमरे में लौट आए थे। लेकिन रात में दूध पीने के बाद से वह फिर दोबारा नहीं उठे। यह दूध उन्हें उनके सहायक रामनाथ ने दिया था।

मौत से चंद घंटे पहले की बातें

समझौते के बाद भोज में गए थे शास्त्री जी

ताशकंद समझौते पर हस्ताक्षर के बाद रात में सोवियत संघ के प्रमुख अलेक्सी कोशिगिन ने लाल बहादुर शास्त्री जी को भोज दिया था। भोज में शास्त्री स्वस्थ और बेहतर लग रहे थे।

समझौते को वजह से नाराज थीं ललिता जी

भोज से लौटने के बाद शास्त्री ने अपनी पत्नी ललिता जी से बात करने की इच्छा जाहिर की थी। मगर ललिता जी ने शास्त्री जी से बात करने से इंकार कर दिया था क्योंकि वह समझौते वाले फैसले से नाराज थीं। इससे शास्त्री जी काफी दुखी थे।

दूध पीने के बाद बिगड़ी तबीयत

सोने से पहले शास्त्री जी को उनके सहायक रमानाथ ने दूध पीने को दिया था। दूध पीने के बाद उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी।

खुद गए थे डॉक्टर ढूंढने

सीने में दर्द उठते ही शास्त्री जी डॉक्टर को पूछने खुद ही गए थे। उन्होंने बहुत दबी आवाज से कहा, डॉक्टर साहब कहां हैं। फिर बैठक में लौटते ही वो बुरी तरह खांसने लगे। उनके सहयोगियों ने उन्हे बिस्तर तक पहुंचाया।

वापस आते ही हो गए थे बेहोश

इसके जगन्नाथ ने शास्त्री जी को पानी पिलाया। पानी पीने के बाद शास्त्री ने अपनी छाती को छुआ और बेहोश हो गए।

हृदय की गति रुकते ही सोए गए

इसके बाद एक दो डॉक्टर भी वहां आ गए। उसके बाद दोनों ने मिलकर काफी समय तक उन्हें ठीक करने की कोशिश की लेकिन हृदय ने जवाब देना बंद कर दिया था।

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