
Mahakumbh 2025: नागा साधुओं की दुनिया रहस्यमई होती है जिसको देखकर हर कोई हैरान रह जाता है। इनके कई कड़े नियम कायदे होते हैं और उनके जीवन शैली के बारे में जानकार लोग अचंभित रह जाते हैं। नागा साधु के कई श्रेणी होते हैं जिसमें से एक है खूनी नागा साधु। आज हम आपको खुनी नागा साधु के बारे में बताएंगे…
कठिन तपस्या करते हैं नागा साधु ( Mahakumbh 2025 )
नागा साधु बनने के लिए शुरूआत में 3 साल महंत की सेवा करनी होती है और इस दौरान ब्रह्मचर्य की परीक्षा भी होती है। जो साधु ब्रह्मचारी व्रत का पालन करता है उसे आगे मौका दिया जाता है। खूनी नागा साधुओं को उज्जैन में दीक्षा दी जाती है और खूनी नगर साधु बनने के लिए कई रातों तक ” ओम नमः शिवाय” गजब करना होता है और इसके बाद अखाड़े के प्रमुख महामंडलेश्वर द्वारा आप विजया हवन करवाया जाता है।
हवन पूरा होने के बाद शिप्रा नदी में 108 बार डुबकी लगाना होता है उसके बाद कुंभ मेले के दौरान अखाड़े के ध्वज को नीचे नागा साधु को दांडी त्याग करवाया जाता है। इस भीम के पूरी होने के बाद साधु पूर्ण रूप से खूनी नागा साधु बन जाता है। उज्जैन में दीक्षित होने वाले नागा साधु को खूनी नागा साधु कहा जाता है ठीक इसी तरह हरिद्वार में दीक्षा ग्रहण करने वाले साधु को बर्फानी साधु कहा जाता है।
जानिए कैसा होता है खूनी नागा साधुओं का स्वभाव
उज्जैन में दीक्षा लेने वाले साधु बेहद उग्र होते हैं हालांकि उनके मन में छल कपट और बेर की भावना नहीं होती। यह नागा साधुओं की सेना माने जाते हैं और धर्म की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। धर्म की रक्षा के लिए यह अपना खून भी बढ़ा सकते हैं यानी कि एक तरह से यह साधुओं के योद्धा होते हैं। 13 जनवरी से प्रयागराज में महाकुंभ का शुरुआत होने वाला है और इस दौरान खूनी नागा साधु भी देखने को मिलेंगे।
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