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Operation Blue Star: 6 जून को हुआ था ऑपरेशन ब्लू स्टार, 83 जवान हुए थे शहीद

Operation Blue Star: आज से करीब 39 साल पहले 6 जून 1984 को देश में एक बड़ा ऑपरेशन, ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया गया। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर को दमदमी टकसाल के नेता और खालिस्तानी समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले और उसके अनुयायियों से मुक्त कराया गया। यह ऑपरेशन भिंडरावाले को जिंदा या मुर्दा पकड़ने के लिए चलाया गया था क्योंकि भिंडरावाले के नेतृत्व में पंजाब में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थी। ऑपरेशन को करने में सेना कामयाब रही, लेकिन इसमें कई सिपाहियों और अन्य लोगों की मृत्यु हो गई और अंत में इसका किस्सा इंदिरा गांधी की मौत से खत्म हुआ। तो आइए जानते हैं 6 जून 1984 देश में क्या हुआ था।

 

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Operation Blue Star
Operation Blue Star

भारतीय सेना के पैराशूट रेजीमेंट ने ऑपरेशन का नेतृत्व किया:
ऑपरेशन ब्लू स्टार को जनरल सुंदरजी, जनरल दयाल और जनरल बरार ने सैनिकों के साथ मिलकर रात के अंधेरे में अंजाम दिया‌। इस ऑपरेशन को काफी कम समय में अंजाम दिया गया क्योंकि लोगों को डर था की कहीं जनरल सिंह भिंडरावाले पंजाब को एक अलग देश बनाने की जंग न छेड़ दे।
भिंडरावाले ने 1982 में चौक गुरुद्वारा को छोड़कर स्वर्ण मंदिर में गुरु नानक निवास आकर रहने लगा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार कुल 4 दिनों तक चला था, जिसके कारण कई नागरिकों सहित सैकड़ों लोगों की मौत हो गई थी। सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर पर हमला करने के लिए टैंकों, तोपों और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया था। ऑपरेशन के बाद भारत में सिखों के खिलाफ हिंसा की लहर दौड़ पड़ी जिसमें हजारों लोग मारे गए। परिणामस्वरूप बाद में इंदिरा गांधी को भी उन्हीं के घाट द्वारा गोली मार दी गई थी।

 

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Janrail Singh Bhindrawale

कैसे दिया इस ऑपरेशन को अंजाम, कितने लोगों की हुई मौत?
इस ऑपरेशन के वक्त जब सैनिक अकाल तख्त की ओर बढ़ रहे थे तब उन पर कई ऑटोमैटिक हथियारों से गोलीबारी शुरू हो गई जिसमें कई कमांडो मारे गए। हालांकि लेफ्टिनेंट कर्नल इसरार रहीम खां के नेतृत्व में 10 वीं बटालियन ने दोनों तरफ की ऑटोमेटिक मशीनगनों को निष्क्रिय किया। भिंडरावाले की सुरक्षा इतनी मजबूत थी कि अलगाववादी जमीन के नीचे मेनहोल से निकलकर मशीनगन से गोलियां दाग रहे थे जिसमें कई सैनिकों के पैरों में भी गोलियां लग गई। अंत में मजबूरन सेना को बैंकों का इस्तेमाल करना पड़ा जिससे अकाल तख्त के ऊपरी हिस्से पर लगभग 80 गोले बरसाए गए।
इस पूरे ऑपरेशन में भारतीय सेना के 83 सैनिक मारे गए थे, जबकि 249 घायल थे। इसके अलावा 493 अन्य लोगों के भी मरने की खबर आई थी। हालांकि इतनी कड़ी मशक्कत के बाद अंत में सेना ने भिंडरावाले को मौत के घाट उतार दिया।

(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)

 

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