Pradosh Vrat 2023: हिंदू कैलेंडर का चौथा महीना आषाढ़ माह कहलाता है। इस साल आषाढ़ माह 5 जून से लेकर 6 जुलाई तक रहेगा। इस महीने में दान पुण्य और तीर्थ यात्रा का विशेष महत्व होता है। आषाढ़ माह में भगवान विष्णु की आराधना के साथ-साथ शिवजी की आराधना का विशेष महत्व होता। प्रदोष व्रत हर महीने दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है इस माह का प्रदोष व्रत 15 जून यानी गुरुवार के दिन रखा जाएगा। गुरुवार के दिन होने की वजह से इस प्रदोष व्रत को गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।
व्रत रखने से भगवान शिव और देवी पार्वती की होगी विशेष कृपा:
प्रदोष व्रत के दिन व्रत रखकर भगवान शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा अर्चना की जाती है। इस व्रत को रखने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है। हिंदू मान्यता के अनुसार इस दिन व्रत रखने से भगवान शिव और देवी पार्वती दोनों की अपने भक्तों पर विशेष कृपा होती है। इस व्रत से जीवन में खुशियां आती हैं, रोग, ग्रह, दोष, कष्ट, पाप आदि से मुक्ति मिलती है। गुरु प्रदोष व्रत में इस बार सुकर्मा योग बन रहा है जो सुबह से शुरू होकर रात तक रहेगा। इस योग में शुभ काम पूजा पाठ करना बहुत ही शुभ माना जाता है।
यह भी पढ़े: https://vidhannews.in/trending/ashadh-maas-2023-14-06-2023-45402.html
गुरु प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त
आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 15 जून सुबह 08 बजकर 32 मिनट से हो रही है, जबकि इसका समापन 16 जून शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 39 मिनट पर होगा। इसमें पूजा का शुभ मुहूर्त 15 जून शाम 07 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 09 बजकर 21 मिनट तक रहेगा। वही शाम 07 बजकर 20 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 36 मिनट तक अमृत काल रहेगा जिसमें पूजा करना अति उत्तम माना जाता है।
गुरु प्रदोष व्रत पूजा विधि
• प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करके साफ वस्त्र अवश्य धारण करें।
• शाम के समय किसी मंदिर या फिर घर में ही शिवलिंग को गंगाजल और गाय के दूध से स्नान कराकर शिवलिंग पर सफेद चंदन का लेप अवश्य लगाएं।
• इसके बाद भोलेनाथ को बेलपत्र, भांग, धतूरा, अक्षत, शमी का पत्ता, सफेद फूल, शहद, शक्कर आदि सामग्री भोलेनाथ को 27 बार ओम नमः शिवाय बोल कर अर्पण करें।
• तत्पश्चात घी का दीपक जलाकर शिवजी की आरती करें।
• अंत में शिवजी से पूजा में हुई गलती की क्षमा प्रार्थना करते हुए उनके सामने अपनी मनोकामनाएं व्यक्त करें।
• अगले दिन सुबह स्नान करने के पश्चात शिवजी की पूजा करें और सूर्योदय के बाद अपने व्रत का उद्यापन कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में लिखित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता अथवा विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। ये विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर जानकारियां आप तक पहुंचाई गई है। हमारा उद्देश्य केवल आप तक सूचना पहुंचाना है। इसके उपयोगकर्ता इसे महज एक सूचना समझ कर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की होगी।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Twitter , Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा-तरीन खबरें