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Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा में शामिल होने के लिए क्यों बेचैन रहते हैं भक्त? जानिए महाराज जी से जुड़ी 8 अनोखी बातें

Premanand Ji Maharaj: प्रेमानंद महाराज हर रात 2 बजे अपने आश्रम से पैदल यात्रा पर निकलते हैं।उनकी इस परंपरा को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं और उनके दर्शन को अपना सौभाग्य मानते हैं।

Premanand Ji Maharaj
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Premanand Ji Maharaj : रात को जब पूरा देश गहरी नींद में सोता है तब वृंदावन के गलियों में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलता है। प्रेमानंद महाराज जी अपनी अनोखी पदयात्रा पर निकलते हैं और उनकी एक झलक पाने के लिए भक्त भी सड़कों के किनारे भीड़ लगा देते हैं। महाराज जी के चरणों की धूल लेने के लिए भक्तों में बेहद उत्साह देखने को मिलता है।आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज से जुड़ी 8 अनोखी बातें…

2:00 रात को महाराज जी करते हैं आश्रम से पैदल यात्रा ( Premanand Ji Maharaj )

  • प्रेमानंद महाराज हर रात 2 बजे अपने आश्रम से पैदल यात्रा पर निकलते हैं।उनकी इस परंपरा को देखने के लिए हजारों श्रद्धालु सड़कों पर उमड़ पड़ते हैं और उनके दर्शन को अपना सौभाग्य मानते हैं।
  • प्रेमानंद महाराज के निकलने से पहले ही लोग सड़कों के किनारे घंटों लाइन में खड़े रहते हैं।भक्तगण उन्हें देखने और उनके चरणों की धूल माथे पर लगाने के लिए बेसब्र नजर आते हैं।
  • प्रेमानंद महाराज को राधा रानी का अनन्य भक्त माना जाता है।उन्होंने हजारों लोगों को आध्यात्मिक मार्ग दिखाया है और उनके बताए मार्ग पर चलकर कई श्रद्धालु अपने जीवन की परेशानियों से मुक्ति पा चुके हैं।
  • महाराज हर रात लगभग 3 किलोमीटर पैदल चलते हैं।ये यात्रा उनके अनुशासन, साधना और भक्तों के प्रति उनके समर्पण को दर्शाती है.यात्रा के दौरान भक्तगण उनकी एक झलक पाने को आतुर रहते हैं।
  • प्रेमानंद महाराज जब यात्रा पर निकलते हैं, तो उनके भक्तगण उनकी चरण-धूल लेने के लिए आपस में होड़ मचाते हैं।वे इसे अपने माथे पर लगाकर खुद को धन्य मानते हैं।हालांकि, सुरक्षा कारणों से किसी को उनके पैर छूने की अनुमति नहीं होती।
  • इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय पुलिस और उनके शिष्य सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालते हैं.यात्रा के दौरान कोई अप्रिय घटना न हो, इसके लिए माइक से संयम बनाए रखने की अपील भी की जाती है।
  • प्रेमानंद महाराज के शिष्य और अनुयायी लगातार लोगों से शांति और संयम बनाए रखने का आग्रह करते हैं, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी तरह की अव्यवस्था न हो और सभी भक्तों को आसानी से दर्शन प्राप्त हो सकें।

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