Shiv Bhakt Story: 35 साल से चाय पीकर जिंदा है ये शिव भक्त, आज तक नहीं पिया पानी, ना चखा खाना

Shiv Bhakt Story: पल्ली देवी ने पिछले 35 सालों से अन्न को हाथ तक नहीं लगाया है। तब से वह केवल चाय पीकर ही जिंदा है।

Shiv Bhakt Story: अपने भगवान शंकर के अनुयायियों में अनोखे भक्तों को देखा होगा। कई बार शिव भक्त कुछ ऐसा कर जाते हैं जिसे सोचकर ही हैरानी होती है। ऐसे ही एक शिव भक्ति बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं जो सालों से केवल चाय पीकर ही जिंदा है। यशु भक्त छत्तीसगढ़ की कोरिया की रहने वाली एक महिला है। छत्तीसगढ़ में यह चाय वाली चाची के नाम से प्रसिद्ध हैं। लंबे अरसे से या महिला ना तो पानी पीती है और ना ही अन्य का कोई दाना खाती है, केवल चाय पी कर ही स्वस्थ जीवन जी रही है।

शिव भक्त हैं पल्ली देवी

आजकल खानपान को लेकर लोग कितना सजग रहते हैं। कई लोग तो डाइटिशियन से टिप्स तक लेते हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में रहने वाली पल्ली देवी कई सालों से केवल चाय पीकर ही जी रही हैं। पल्ली देवी ना तो कुछ खाती हैं और ना ही पानी पीती हैं। उनका मानना है कि वह शिव भक्त हैं और आजीवन केवल चाय पीकर कर ही शिवभक्ति करेंगी।

पिता के घर पर हैं 45 साल की पल्ली

पल्ली देवी कोरिया जिले के बैकुन्ठपुर विकासखण्ड के ग्राम पंचायत बरदिया निवासी हैं। कोरिया जिला मुख्यालय से महज 15 किलोमीटर दूर बरदिया नाम का एक गांव है, जहां पल्ली देवी अपने पिता के घर पर रहती हैं। अब पल्ली देवी 45 साल की हो चुकी हैं।

35 साल से नहीं छुआ अन्न 

पल्ली देवी के परिवार का कहना है कि पल्ली देवी ने पिछले 35 सालों से अन्न को हाथ तक नहीं लगाया है। उनके पिता रतिराम बताते हैं कि पल्ली देवी की साल 1985 में शादी हुई थी। मगर शादी के बाद कुछ ऐसा हुआ कि उन्हें अन्न ही त्याग दिया। वह एक दिन मायके आई, फिर कभी ससुराल वापस नहीं गईं। तब से पल्ली देवी केवल चाय पीकर ही जिंदा है।

अन्न के बिना भी स्वस्थ्य है पल्ली देवी

हैरत की बात यह है कि पल्ली देवी बिना अन्न खाए भी पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। इस महिला को देखकर डॉक्टर भी हैरत में हैं। स्थानीय लोग उन्हें चाय वाली चाची के नाम से जानते हैं।

छठवीं पास हैं पल्ली देवी 

पिता बताते हैं कि पल्ली देवी पहले पटना के स्कूल में पांचवीं तक पढ़ी हैं। उसके बाद जब वह बैकुंठपुर में छठवीं कक्षा में पढ़ रही थी, इस समय उसकी टीचर उसे जनकपुर में एथलीट खेल में ले गए। पल्ली यहां पर दौड़ने में फर्स्ट आई। कक्षा छठवीं के बाद उसकी शादी हो गई। ससुराल जाने के बाद वापस आ गई और उसके बाद जल और अन्न त्याग दिया। तब से शिव भक्त बन गई और सिर्फ चाय पीकर ही जीवित है।

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