Bhisham Sahni Death Anniversary: भीष्म साहनी एक कहानीकार, उपन्यासकार और नाटककार के साथ-साथ सशक्त अभिनेता भी थे। उन्होंने हिंदी कथा लेखन, नाटक, अनुवाद और शिक्षा में हिंदी साहित्य को बहुत बड़ा योगदान दिया है। भीष्म साहनी ने प्रेमचंद की कहानियों की परंपरा को बरकरार रखते हुए स्वतंत्रता संग्राम में भी भाग लिया था। भीष्म साहनी ने अपने जीवन काल में 100 से भी अधिक लघु कथाएं और कई नाटक लिखें। आज 11 जुलाई को उनकी पुण्यतिथि है, ऐसे में आज हम आपको इस महान लेखक के जीवनकाल के बारे में बताएंगे।

भीष्म साहनी का कुछ ऐसा था शुरुआती जीवन
भीष्म साहनी का जन्म 8 अगस्त,1915 को रावलपिंडी में हुआ था जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। स्नातक की पढ़ाई उन्होंने लाहौर के एक सरकारी कॉलेज से किया, फिर अंग्रेजी साहित्य में एम.ए की पढ़ाई पूरी की। साल 1935 में उन्होंने लाहौर के गवर्नमेंट कॉलेज से अंग्रेजी में एम.ए. की परीक्षा पास कर डॉ इंद्रनाथ मदान के निर्देशन में “कंसेप्ट ऑफ द हीरो इन द नावेल” विषय पर शोध कार्य पूर्ण किया। पढ़ाई के साथ-साथ साहनी अपने कॉलेज में नाटक, वाद-विवाद और हॉकी जैसी प्रतियोगिताओं में भी बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। साहनी हिंदी, अंग्रेजी, पंजाबी, संस्कृत और रूसी भाषा सहित उर्दू भी जानते थे। साल 1958 में वे पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल कर भीष्म साहनी से डॉ भीष्म साहनी बन गए।
विभाजन के दौरान वे भारत आ गए
भीष्म साहनी ने अपने जीवन काल में 100 से भी अधिक लघु कथाएं और कई नाटक लिखें। उन्होंने साल 1942 में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में सक्रिय रूप से भाग लिया। मार्च 1947 के रावलपिंडी में हुए सांप्रदायिक दंगे के दौरान उन्होंने राहत समिति में भी काम किया। 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद 14 अगस्त,1947 को वे रावलपिंडी से भारत आ गए।
भारत में उन्हें इन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया
डॉ भीष्म साहनी को उनके अभूतपूर्व लेखन के लिए साल 1979 में शिरोमणि लेखक पुरस्कार, 1975 में ‘तमस’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार और उत्तर प्रदेश सरकार पुरस्कार, 1975 में नाटक ‘हनुसा’ के लिए मध्यप्रदेश कला साहित्य परिषद पुरस्कार से सम्मानित किया गया। साल 1980 में उन्हें एफ्रो-एशिया रायटर्स एसोसिएशन के लोटस अवार्ड और 1983 में सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। उन्हें साल 1998 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। अनेक कलाओं के धनी डॉ भीष्म साहनी 11 जुलाई 2003 को इस संसार को अलविदा कह गए।
(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है।)
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