
CM Yogi Adityanath Birthday : 2007 में एक युवक की हत्या के बाद हिन्दू युवा वाहिनी के कार्यकर्ताओं द्वारा सैयद मुराद अली शाह की मजार पर आग लगा दी गई थी। गोरखपुर में हालात बिगड़ गए, प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा। प्रशासन के मना करने के बावजूद योगी आदित्यनाथ सभा करने पहुंच गए और भड़काऊ भाषण भी दिया। 28 जनवरी ,2007 को योगी को गिरफ्तार कर लिया गया। दो दिन बाद ही तत्कालीन मुलायम सरकार ने गिरफ्तार करने वाले डीएम-एसपी को सस्पेंड कर दिया। योगी आदित्यनाथ तब गोरखपुर के सांसद थे और महंत भी। इसी घटना के बाद योगी आदित्यनाथ हिन्दू युवावाहिनी के खिलाफ सख्ती का जिक्र करते हुए संसद में रो पड़े थे।
ये साल 2023 है और योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री हैं। दोबारा उन्होंने बीजेपी को सत्ता दिलाई है। हिन्दूवादी छवि के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ की छवि आज एक ऐसे प्रशासक की बन चुकी है जिसने यूपी में अपराधियों के खिलाफ एक जंग छेड़ रखी है..और सिलसिला फिलहाल जारी है।
शुरू से रहे हैं परीक्षा में नकल के खिलाफ
उत्तराखंड का पौड़ी गढ़वाल और गढ़वाल का एक छोटा सा गांव है पंचुर। पहाड़ों -जंगलों का इलाका है, इसी इलाके में आनंद सिंह बिष्ट नाम के एक फॉरेस्ट रेंजर के घर अजय सिंह विष्ट यानि योगी आदित्य नाथ का जन्म हुआ था। माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों और एक बड़े भाई के बाद योगी पांचवें संतान थे। शुरुआती पढ़ाई-लिखाई स्थानीय स्कूल में ही हुई।10 वीं की परीक्षा पास करते ही योगी इंटर करने ऋषिकेश पहुंच गए। योगी आदित्यनाथ ने मैथमैटिक्स में ग्रेजुएशन किया है।
बहुत कम लोगों को पता है कि योगी आदित्यनाथ, बचपन से ही परीक्षा में नकल करने वालों के खिलाफ बोलते थे। योगी के गुरू नागेंद्र नाथ वाजपेयी कहते हैं, योगी छात्र जीवन से ही नकलविहीन परीक्षा के पक्षधर रहे हैं। उनका मानना है कि नकल करने वाले छात्र मेधावियों के हितों का हनन करते हैं। जहां मेरिट से चयन होता है, वहां मेधावी पिछड़ जाते हैं।
जब हुआ जानलेवा हमला
22 साल की उम्र में सांसारिक जीवन का त्याग करने वाले योगी आदित्यनाथ को महंत अवैद्यनाथ ने 1994 में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। 1998 में अवैद्यनाथ ने राजनीति से संन्यास लेकर योगी आदित्यनाथ को अपना राजनीतिक वारिस भी घोषित कर दिया। 1998 में महज 26 साल की उम्र में योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के सांसद बन गए।
2008 में योगी आदित्यनाथ पर आजगगढ़ में जानलेवा हमला किया गया था। हमला इतना बड़ा था कि काफिले के सौ से ज्यादा वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया था। किसी तरह योगी बचने में कामयाब हुए थे।
गाड़ी के नंबर प्लेट पर भी योगी!
गोरखपुर में ये योगी के शुरुआती दिनों की बात है। तब उत्तर प्रदेश में सरकार किसी की हो, गोरखपुर में योगी आदित्यनाथ की ही चलती थी। कहते हैं तब गाड़ी पर नंबर प्लेट की जगह कई युवा योगी लिखवा लेते थे और पुलिस वाले की क्या मजाल कि वो गाड़ी रोक ले। पूरा देश जिस दिन होली-दिवाली मनाता है उस दिन गोरखपुर में होली नहीं मनती। आदित्यनाथ के कहने पर ही गोरखनाथ मंदिर में होली और दीपावली जैसे बड़े त्योहार का आयोजन एक दिन बाद किया जाता है और लोग खुशी-खुशी मानते भी हैं।
कैसे आए गोरखपुर?
योगी आदित्यनाथ के गोरखपुर आने की भी एक दिलचस्प कहानी है। 1993 में गणित में एमएससी की पढ़ाई के दौरान गुरु गोरखनाथ पर शोध करने अजय सिंह विष्ट गोरखपुर आए। वहीं महंत अवैद्यनाथ के संपर्क में आए। महंत अवैद्यनाथ भी उत्तराखंड के रहने वाले थे साथ ही योगी के गांव के निवासी और परिवार के पुराने परिचित थे। अजय सिंह विष्ट, गोरखपुर तो आ गया लेकिन फिर वापस पहाड़ों में नहीं जा पाया। योगी आदित्यनाथ बनकर हमेशा के लिए गोरखपुर के हो गए।
सियासत में ऐसे हुई एंट्री
कहते हैं एक बार गोरखनाथ मंदिर से संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़ा ख़रीदने आए और उनका दुकानदार से विवाद हो गया। दुकानदार पर हमला हुआ, तो उसने रिवॉल्वर निकाल ली। दो दिन बाद दुकानदार के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग को लेकर युवा योगी की अगुवाई में छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया और वे एसएसपी आवास की दीवार पर भी चढ़ गए। तब तक उन्हें गोरखनाथ मंदिर का उत्तराधिकारी घोषित किया जा चुका था। यूपी की सियासत में ये एक योगी की धमाकेदार एंट्री थी।
उनकी ताकत और अहमियत
राजनीति में योगी आदित्यनाथ की शुरुआत 1996 में ही हो गई थी। 1996 के लोकसभा चुनाव में वो महंत अवैद्यनाथ के चुनाव कैंपेन को लीड कर रहे थे। आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और गोरखधाम मठ के महंत भी। लेकिन उनकी पार्टी ने उनका बागी वाला स्वभाव भी अक्सर देखा है। कई बार उन्होंने बीजेपी को अपने फैसलों को मनवाने के लिए विवश कर दिया है। पार्टी में उनकी ताकत और उनकी अहमियत इस बात से समझा जा सकता कि मनोज सिन्हा यूपी की बागडोर संभालने को तैयार थे। आखिरी वक्त में फैसला योगी के हक में गया और वे यूपी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बन गए।
सीधे एक्शन में विश्वास
जानकार कहते हैं कि राजनीति में योगी इसलिए इतने कामयाब होते चले गए क्योंकि उन्हें जनता से सीधे संवाद करना पसंद है। मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वो लगातार ऐसा करते हुए देखे जाते हैं। कभी रात को अचानक निकल पड़ते हैं तो कभी एकदम से थाने में जाकर पुलिस महकमे को चौंका देते हैं। योगी का यही अंदाज उन्हें दूसरे नेताओं से अलग करता है।
सीएम योगी के बारे में कहा जाता है कि उनके नजदीकियों की लिस्ट लगातार बदलती रहती है, माने आज जो चेहरे उनके साथ दिख रहे हैं कल उन चेहरों की जगह कोई और होगा। योगी सीधे एक्शन में विश्वास करते हैं। हाल ही में जिस तरह से यूपी के माफियाओं का सफाया हुआ उससे एक बड़ी आबादी का भरोसा उन पर बढ़ा है। वैसे भी यूपी में माफियाओं का राज हुआ करता था लेकिन योगी के आने के बाद माफिया या तो अपराध छोड़ रहे हैं या फिर कानूनी लड़ाई।
बेबाक नेता की अमिट छवि
मुख्यमंत्री एक संवैधानिक पद है और योगी जानते हैं कि संवैधानिक मर्यादा होती क्या है। वो अब विवादित बयान देने से बचते हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर विरोधियों को जवाब देना भी नहीं भूलते। किसी एक पक्ष या एक धर्म की बात नहीं करते लेकिन वो आज भी अपने आप को हिंदू कहने से नहीं कतराते। सीएम रहते अपनी पहली दिवाली मनाने अयोध्या पहुंचते हैं। लोग सवाल उठाते हैं कि क्या योगी ईद भी मनाएंगे तो वो बेबाकी से कहते हैं – मैं हिन्दू हूं, ईद क्यों मनाउंगा।
अयोध्या में मस्जिद की नींव रखे जाने पर जब उनसे सवाल किया गया कि अगर मुस्लिम पक्ष बुलाएंगे तो क्या वो जाएंगे।योगी का जवाब था- न वो बुलाएंगे और न मैं जाऊंगा।
भाइयों से जुड़ी कहानी
जिस उम्र में लोग परिवार बनाते हैं परिवार से नजदीकियां बढ़ाते हैं उस उम्र में योगी ने सांसारिक जीवन से संन्यास ले लिया। योगी और उनके भाईयों की एक बड़ी मार्मिक कहानी है, तब योगी गोरखपुर आ चुके थे। संत भी बन गए थे। परिवार के कुछ सदस्य तब उनसे मिलने गोरखपुर आए थे। लेकिन योगी के तीन भाई गोरखपुर नहीं आ सके। इन तीन भाईयों से योगी की मुलाकात 5 साल बाद हुई।
बदलते वक्त के साथ बदलाव
योगी के बाघ के बच्चे को दूध पिलाने की तस्वीर अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती है। उस तस्वीर में सिर्फ योगी ही नहीं दिखते, उसमें एक ऐसी शख्शियत दिखती है जिसे न तो किसी चीज का भय है और न ही कुछ खोने का डर। आज के योगी में बदलाव आया है। ये बदलाव एक व्यक्ति के रूप में भी है और एक मुख्यमंत्री के रूप में भी। कई लोगों का मानना है कि आने वाले वक्त में योगी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। 2022 में योगी का दोबारा मुख्यमंत्री बनना, इस दावे को और मजबूत करता है।
योगी, प्रधानमंत्री बने या न बने ये वक्त बताएगा लेकिन इतना जरूर है कि योगी इस दौर में बीजेपी के कद्दवर नेता बन चुके हैं। किसी भी राज्य में विधानसभा चुनाव हो वहां से चुनाव प्रचार के लिए योगी की मांग होती है। जनसभाओं में योगी-योगी के नारे लगते हैं। योगी आदित्यनाथ ऐसे नेता बन चुके हैं जिसकी सभा में भीड़ बुलाने की जरूरत नहीं होती, भीड़ खींची चली आ जाती है। ये भीड़ कम और योगी के चाहने वाले ज्यादा हैं।
जनता के पसंदीदा नेता
योगी पर कई आरोप लगे, सीआरपीसी की धारा 151A, 146, 147, 279, 506 के तहत वो जेल भी जा चुके हैं। विपक्ष योगी पर निशाना साधने के लिए अक्सर उनके अतीत को दोहराता है। एनकांउटर के लिए योगी पर तरह-तरह के सवाल उठते हैं लेकिन ऐसा लगता है कि विपक्ष के आरोपों के बीच योगी चुपचाप अपना काम कर रहे हैं और जनता उनके काम को पसंद भी करती है तभी देश के सबसे बड़े राज्य की बागडोर लगातार दो बार उन्हें ही सौंपा है।
वक्त की नहीं, बस काम की परवाह
अक्सर जब योगी से प्रधानमंत्री पद को लेकर सवाल किए जाते हैं तो वो मुस्कुरा देते हैं और कहते हैं कि मैं एक योगी हूं और योगी ही रहना चाहता हूं। राजनीति में आप क्या बोलते हैं इसका बड़ा महत्व होता है। योगी इस बात को समझ चुके हैं, सियासत करना जानते हैं और अब तो एक प्रशासक की भूमिका भी निभा रहे हैं। किसने सोचा था उत्तराखंड के एक साधारण परिवार का लड़का योगी बन जाएगा फिर यूपी का मुख्यमंत्री। वैसे भी योगियों के बारे में कहा जाता है वो वक्त की परवाह नहीं करते बस अपना काम करते हैं। योगी आदित्यनाथ वही कर रहे हैं।
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