Kabir Das Jayanti
संत कबीर 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि थे, इस अवसर पर आप अपने प्रियजनों को विशेज, मैसेज्स आदि भेज सकते हैं...
काल करे सो आज कर,
आज करे सो अब
पल में परलय होएगी,
बहुरि करेगा कब
कबीर दास जयंती की बधाई !
साधु ऐसा चाहिए,
जैसा सूप सुभाय,
सार-सार को गहि रहै,
थोथा देई उड़ाय।
यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान
शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय
ढाई आखर प्रेम का,
पढ़े सो पंडित होय !
ना तीरथ में ना मूरत में,
ना एकांत निवास में,
ना मंदिर में ना मस्जिद में,
ना काबे कैलास में
माला फेरत जुग गया,
गया न मन का फेर
कर का मन का डारि दे, मन का मनका फेर
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Aaj Ka Rashifal
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गंगा दशहरा इन अद्भुत योग
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय !
कबीरा खड़ा बाज़ार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती,
न काहू से बैर !
साधु भूखा भाव का
धन का भूखा नाहीं,
धन का भूखा जो फिरै सो तो साधु नाहीं !
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