मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित ओंकारेश्वर को 'पवित्र द्वीप का दर्जा मिला है।
नर्मदा नदी के प्रवाह ने यहां एक मील लंबे और डेढ़ मील चौड़े पर्वतखंड को ओम् की आकृति प्रदान की है।
यह सुखद संयोग है कि मध्यप्रदेश में दो ज्योर्तिलिंग हैं। एक उज्जैन का महाकालेश्वर और दूसरा ओंकारेश्वर।
ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर से अपनी भौगोलिक अवस्थिति के कारण थोड़ा अलग है।
ओंकारेश्वर नर्मदा नदी के किनारे बसा एक छोटा-सा शहर है जिसके एक ओर सतपुडा पर्वत श्रेणी और दूसरी ओर विन्ध्याचल पर्वत श्रेणी है।
यहां की पूजा भी यहां परिक्रमा के बिना संपन्न नहीं मानी जाती। यह करीब 7 किलोमीटर की परिक्रमा होती है, जो आम तौर पर की जाने वाली मंदिर परिक्रमा से बेहद अलग है।
आप इस परिक्रमा पथ में ओंकारेश्वर में स्थित कई मंदिर एवं पुरातत्व महत्व के स्मारकों के दर्शन करते चलते हैं।
केंद्रीय पुरातत्व विभाग के संरक्षण में यहां नर्मदा के डूबक्षेत्र में पाए गए कई भग्नावशेष संरक्षित हैं।
ओंकारेश्वर का पंचस्तरीय मंदिर परमारकालीन शिल्प के वैभव को प्रदर्शित करता है।
यहां सबसे उपयुक्त समय जुलाई से नवंबर के बीच होता है। जुलाई-अगस्त में यहां श्रद्धालुओं की भीड़ भी होती है।
मध्य प्रदेश में स्थित ओंकारेश्वर से निकटतम हवाई अड्डा इंदौर है। इंदौर से ओंकारेश्वर तक सड़क मार्ग से तय कर सकते हैं।
रेलमार्ग से पहुंचने के लिए ओंकारेश्वर रोड स्टेशन है जो खंडवा मार्ग पर है और शहर से 7 किलोमीटर के फासले पर है।
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