
Irreversible Climate Disaster Warning: हमारी पृथ्वी, जो सौरमंडल के सबसे महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक है, अब तक के सबसे खतरनाक दौर से गुजर रही है। बायोसाइंस पत्रिका में प्रकाशित एक नई रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि हम एक अपरिवर्तनीय जलवायु आपदा के कगार पर खड़े हैं। वैज्ञानिकों का दावा है कि पृथ्वी अब जलवायु संकट के एक महत्वपूर्ण और अप्रत्याशित नए चरण में प्रवेश कर चुकी है। इस रिपोर्ट के अनुसार, पृथ्वी ने 35 महत्वपूर्ण संकेतों में से 25 की सीमा पार कर ली है, जो पर्यावरणीय संकट की गंभीरता को दर्शाता है।
पृथ्वी के बिगड़ते संकेत और निर्णायक कार्रवाई की आवश्यकता
ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा जारी की गई सालाना रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “जलवायु रिपोर्ट 2024: पृथ्वी पर खतरनाक समय,” इस बात पर जोर देती है कि पृथ्वी के महत्वपूर्ण संकेत तेजी से बिगड़ रहे हैं। इन संकेतों में मानव जनसंख्या विस्फोट, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी), पशुधन की संख्या, प्रति व्यक्ति मांस उत्पादन, और कोयला व तेल की खपत जैसे कई कारक शामिल हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि अब यह समय है निर्णायक और ठोस कदम उठाने का, ताकि इस संकट को रोका जा सके।
मानव और पशु की आबादी में खतरनाक वृद्धि
रिपोर्ट बताती है कि मानव और पशुधन की आबादी में अत्यधिक और खतरनाक वृद्धि हो रही है। हर दिन मानव आबादी में लगभग 2,00,000 और पशुधन की आबादी में 1,70,000 की वृद्धि हो रही है। इससे पृथ्वी के संसाधनों पर भारी दबाव पड़ रहा है। इसके अलावा, जीवाश्म ईंधन की खपत में भी नाटकीय रूप से वृद्धि दर्ज की गई है। 2023 में कोयला और तेल के उपयोग में 1.5 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि पवन और सौर ऊर्जा के उपयोग में मामूली वृद्धि ही हो पाई है। इस समय, जीवाश्म ईंधन की खपत अक्षय ऊर्जा स्रोतों की तुलना में 14 गुना अधिक बनी हुई है, जो एक गंभीर चिंता का विषय है।
वृक्षा रोपण में कमी और जंगल के आग का प्रभाव
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रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि दुनिया भर में वृक्ष आवरण में भी लगातार कमी हो रही है। 2022 में वृक्ष आवरण का नुकसान 28.3 मेगा हेक्टेयर था, जो 2023 में घटकर 22.8 मेगा हेक्टेयर रह गया। इस कमी की सबसे बड़ी वजह जंगल की आग है, जिसने अकेले 11.9 मेगा हेक्टेयर वृक्ष आवरण का विनाश कर दिया। यह नुकसान वन कार्बन पृथक्करण की दर को घटाता है, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि हो रही है। इसके साथ ही, ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन भी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो जलवायु परिवर्तन के खतरे को और अधिक बढ़ा रहा है।
ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन
रिपोर्ट में चीन, भारत और अमेरिका को ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जक के रूप में चिन्हित किया गया है। वहीं, यूएई, सऊदी अरब और ऑस्ट्रेलिया में प्रति व्यक्ति ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन सबसे अधिक है। वैज्ञानिकों का कहना है कि 2024 सबसे अधिक गर्म सालों में से एक हो सकता है, क्योंकि 2023 में वैश्विक सतह का तापमान अब तक का सबसे अधिक दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, नवंबर 2023 से अगस्त 2024 के बीच दुनिया में 16 प्रमुख जलवायु आपदाएं हुई हैं, जिनमें भारी जान-माल का नुकसान हुआ है।
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