Russia-Ukraine War: यूक्रेन और रूस के बीच लंबे समय से चल रहे युद्ध ने अब एक नया मोड़ ले लिया है। हाल ही में, यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने शांति स्थापना के लिए एक बड़ी पहल की है। उन्होंने संकेत दिए हैं कि अगर रूस अपनी कुछ शर्तें मानता है, तो यूक्रेन शांति के लिए कुछ कदम उठाने को तैयार है
युद्ध के मौजूदा हालात
फरवरी 2022 में शुरू हुआ रूस-यूक्रेन युद्ध अब तक लाखों लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल चुका है। दोनों देशों के बीच लगातार हो रही लड़ाई ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित किया है। इस दौरान पश्चिमी देशों ने यूक्रेन का समर्थन किया है, जबकि रूस ने अपने क्षेत्रीय प्रभाव को बनाए रखने के लिए संघर्ष किया।
जेलेंस्की का बड़ा कदम
यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने हाल ही में एक इंटरव्यू में कहा कि अगर रूस अपनी सेना को कुछ प्रमुख क्षेत्रों से हटा लेता है और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन करता है, तो यूक्रेन शांति के लिए अपनी जमीन का कुछ हिस्सा छोड़ने पर विचार कर सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह कदम सिर्फ शांति वार्ता को मजबूत करने के लिए होगा।
रूस की प्रतिक्रिया
जेलेंस्की के इस बयान के बाद रूस की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, रूसी सरकार और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले भी यह कहा है कि यूक्रेन को अपने शर्तों पर शांति के लिए तैयार होना होगा।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका
इस युद्ध के दौरान अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, और अन्य देशों ने यूक्रेन को हथियार और वित्तीय मदद दी है। अब, जेलेंस्की के इस कदम से उम्मीद की जा रही है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय शांति वार्ता के लिए रूस पर दबाव बना सकता है।
क्या है जेलेंस्की की शर्तें?
जेलेंस्की ने रूस के साथ शांति वार्ता के लिए तीन प्रमुख शर्तें रखी हैं
1. रूस को उन क्षेत्रों से सेना हटानी होगी, जिन्हें उसने हाल ही में कब्जा किया है
2. युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दी जाए
3. यूक्रेन को नाटो और यूरोपीय यूनियन में शामिल होने की स्वतंत्रता दी जाए
विशेषज्ञों की राय
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि जेलेंस्की का यह बयान उनकी शांति की गंभीर इच्छा को दर्शाता है। हालांकि, रूस के रुख को देखते हुए इसे लागू करना आसान नहीं होगा।
क्या शांति संभव है?
जेलेंस्की की इस पहल ने शांति की उम्मीद जगाई है, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए दोनों पक्षों को बड़े कदम उठाने होंगे। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सक्रिय भूमिका और समझौतों का सख्ती से पालन ही इस संघर्ष को खत्म कर सकता है।
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