
Murti Vastu Niyam: 22 जनवरी को अयोध्या में भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है। इसके लिए मूर्ति का चयन कर लिया गया है और मंदिर के निर्माण में वास्तु के नियमों का ध्यान रखा गया है। मंदिरों और पूजा घरों में मूर्तियों का आकार अलग-अलग होता है। घर के पूजा स्थान में भगवान की मूर्ति का आकार बहुत बड़ा नहीं होना चाहिए। वहां केवल छोटी मूर्तियां ही रखी जाती हैं क्योंकि उनकी पूजा सबसे सरल तरीके से की जाती है। अलग-अलग देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने की दिशा भी अलग-अलग होती है।
आइए जानते हैं कि पूजा घर में भगवान की मूर्ति कितनी बड़ी होनी चाहिए? पूजा कक्ष के वास्तु नियम क्या हैं?
Murti Vastu Niyam: पूजा कक्ष में मूर्तियों के लिए वास्तु नियम
पूजा घर में भगवान की मूर्ति का आकार क्या होना चाहिए?
- पूजा घर में इससे बड़ी मूर्तियों की पूजा करते समय कई नियमों का पालन करना जरूरी होता है, जो आम आदमी के लिए एक जटिल प्रक्रिया बन जाती है। इसमें छोटी सी गलती का भी अशुभ परिणाम हो सकता है।
- अगर आप पूजा घर में शिवलिंग रखना चाहते हैं तो शिवलिंग का आकार भी छोटा होना चाहिए। इसे पूजा घर के उत्तरी भाग में स्थापित करना चाहिए।
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- इसी तरह मां दुर्गा, गणेश जी, कुबेर आदि की मूर्तियां उत्तर दिशा में रखनी चाहिए ताकि उनका मुख दक्षिण दिशा में रहे।
- वास्तु के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्तियां रखने के लिए पूजा कक्ष की उत्तर-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है। हनुमान जी की मूर्ति उत्तर-पूर्व दिशा में रखें। बजरंगबली की मूर्ति कभी भी दक्षिण-पूर्व दिशा में नहीं रखनी चाहिए क्योंकि इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है।
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