Brahma Kamal: सनातन धर्म में कमल के फूल को बहुत ही शुभदाई माना जाता है। यही वजह है की माता लक्ष्मी भगवान विष्णु और शिव जी के अलावा कमल का फूल और भी कई देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है।पुराणों के अनुसार कमल कर तरह के होते हैं- नीलकमल, ब्रह्म कमल,फेन कमल और कस्तूरबा कमल।
ब्रह्म कमल से जुड़ी कई तरह की मान्यताएं सुनने को मिलती है। कहा जाता है कि इसमें सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा जी विराजमान रहते हैं।यही वह कमल है और इसी में से सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी की उत्पत्ति हुई है। ब्रह्म कमल का उल्लेख एक पौराणिक कहानियों में देखने को मिलता है।
ब्रह्मा जी से जुड़ा है यह पौधा (Brahma Kamal)
यह पौधा स्वयं ब्रह्मदेव का पुष्प माना जाता है और इसे बेहद अलौकिक कहा जाता है। इस पौधा का काफी अलौकिक महत्व है। कहां जाता है कि पौधा को एक बार देख लेने से सभी इच्छाएं पूरी हो जाती है। सफेद रंग का यह पौधा भगवान ब्रह्मा और शिव पर चढ़ाया जाता है तो वह तुरंत प्रसन्न हो जाते हैं।
जानिए क्या है इस फूल का धार्मिक महत्व
इस फूल को सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक कहा जाता है और मान्यताओं के अनुसार ब्रह्म कमल महानंदा का प्रिय पुष्प है। ऐसे में इसे नंदा अष्टमी में तोड़ा जाता है। ब्रह्म कमल का अर्थ होता है ब्रह्मा का कमल। यह फूल जुलाई से सितंबर के बीच में खिलता है और यह फूल मध्य रात्रि में बंद हो जाता है। अगर कोई इस फूल को मिलते हुए देख लेता है तो उसे सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
जानिए वास्तु शास्त्र में इसका क्या है महत्व
वास्तु शास्त्र के अनुसार ब्रह्म कमल का पौधा सुख समृद्धि और सौभाग्य को आकर्षित करता है और व्यक्ति के जीवन में संतुलन बनाए रखना है। अगर कोई व्यक्ति इसे अपने घर में लगता है तो यह पौधा अपने मालिक को बुरी नजर से बचाता है। वास्तु नियम के अनुसार किसी को भी उपहार में ब्रह्म कमल का फूल कभी नहीं देना चाहिए।
तमाम खबरों के लिए हमें Facebook पर लाइक करें Google News , Twitter, Kooapp और YouTube पर फॉलो करें। Vidhan News पर विस्तार से पढ़ें ताजा–तरीन खबर।