
Brain Eating Amoeba: देश में तेजी से दिमाग खाने वाले अमीबा का खतरा फैलने लगा है। अभी फिलहाल केरल और तमिलनाडु में इसके मरीज देखने को मिले हैं। यह अमीबा दिमाग को पूरी तरह से खा जाता है जिससे मौत हो जाती है। अभी तक केरल में 18 लोगों की मौत हो चुकी है और 300 से अधिक लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं।
‘नेगलेरिया फाउलेरी’, जिसे आमतौर पर दिमाग खाने वाला अमीबा कहा जाता है, वर्तमान में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बनता जा रहा है। यह एक दुर्लभ लेकिन अत्यधिक घातक अमीबा है, जो प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) नामक जानलेवा संक्रमण का कारण बनता है। यह अमीबा मुख्य रूप से गर्म और ताजे पानी में पाया जाता है, जैसे झीलें, नदियां, गर्म झरने और खराब तरीके से रखरखाव किए गए स्विमिंग पूल।
संक्रमण कैसे फैलता है? (Brain Eating Amoeba)
– यह अमीबा दूषित पानी के जरिए नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
– तैराकी, डाइविंग, या नेति पॉट जैसे उपकरणों से नाक साफ करते समय यदि पानी दूषित हो, तो यह संक्रमण फैल सकता है।
– नाक से प्रवेश करने के बाद यह मस्तिष्क तक पहुंचता है और दिमाग के ऊतकों को नष्ट कर देता है।
संक्रमण के लक्षण
शुरुआती लक्षण:बुखार, सिरदर्द, मतली, उल्टी, और गले में जकड़न।
गंभीर लक्षण: भ्रम, दौरे, दृष्टि या सुनने में समस्या, लकवा, और कोमा।
यह संक्रमण बेहद तेजी से फैलता है और आमतौर पर 5-10 दिनों के भीतर मृत्यु का कारण बनता है।
इसका घातक प्रभाव
इस बीमारी की मृत्यु दर लगभग 98% है।भारत में, विशेष रूप से केरल में, इस साल अब तक 67 मामलेसामने आए हैं, जिनमें से 18 लोगों की मौत हो चुकी है।
संक्रमण से बचाव के उपाय
1. गर्म पानी में तैरने से बचें: झीलों, नदियों, या गर्म झरनों में तैराकी न करें, खासकर गर्मियों के मौसम में।
2. नाक की सुरक्षा करें: तैराकी करते समय नाक क्लिप का उपयोग करें।
3. सुरक्षित पानी का इस्तेमाल करें: नेति पॉट या नाक की सफाई के लिए केवल उबला हुआ, आसुत, या बाँझ पानी का उपयोग करें।
4. पूल की सफाई: स्विमिंग पूल को नियमित रूप से क्लोरीनयुक्त और स्वच्छ रखें।
5. बच्चों को सतर्क करें: उन्हें दूषित या ठहरे हुए पानी से दूर रखें।
इलाज और सावधानी
इसका इलाज मुख्य रूप से एम्फोटेरिसिन बी और अन्य एंटीफंगल दवाओं के जरिए किया जाता है।हालांकि, संक्रमण की पहचान जल्दी न होने पर इसका इलाज सफल नहीं हो पाता। बचाव और जागरूकता ही इस बीमारी से बचने का सबसे प्रभावी तरीका है।
यह संक्रमण दुर्लभ है, लेकिन इसके परिणाम घातक हो सकते हैं। किसी भी लक्षण के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और स्वच्छता का ध्यान रखें। जागरूकता ही इस खतरे से बचने का सबसे बड़ा उपाय है।
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