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Army Dog’s Salary: इंडियन आर्मी में कैसे होती होता है डॉग्स का सिलेक्शन, कितनी मिलती है इन्हें सैलरी? जानें यहां

Army Dog's Salary: इंडियन आर्मी में डॉग्स आतंकी विरोधी अभियानों के तहत तलाशी अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सेना की डॉग यूनिट्स में शामिल कुत्तों को गार्ड ड्यूटी, गश्त, आईईडी विस्फोटक को सूंघना, बारुदी सुरंगों का पता लगाने, ड्रग्स को पकड़ने, कुछ लक्ष्यों पर हमला करने, हिमस्खलन के मलबे की पड़ताल करने और भगोड़े व आतंकियों के छिपने की जगह ढूंढने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।

Army Dog's Salary:
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Army Dog’s Salary: इंडियन आर्मी में आज के समय में डॉग्स भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। आतंकियों के छक्के छुड़ाने के साथ-साथ बम विस्फोटकों का पता लगाने और कई महत्वपूर्ण कार्यों में यह डॉग्स अपना योगदान देते हैं। यह जोखिम भरे कामों में भी भारतीय सेवा के साथ चलते हैं। क्या आपको पता है इन जबांज डॉग्स की भर्ती इंडियन आर्मी में कैसे होती है और उनकी सैलरी कितनी होती है। आईए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…

इंडियन आर्मी में यह कार्य करते हैं डॉग्स (Army Dog’s Salary)

इंडियन आर्मी में डॉग्स आतंकी विरोधी अभियानों के तहत तलाशी अभियान में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।सेना की डॉग यूनिट्स में शामिल कुत्तों को गार्ड ड्यूटी, गश्त, आईईडी विस्फोटक को सूंघना, बारुदी सुरंगों का पता लगाने, ड्रग्स को पकड़ने, कुछ लक्ष्यों पर हमला करने, हिमस्खलन के मलबे की पड़ताल करने और भगोड़े व आतंकियों के छिपने की जगह ढूंढने के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।

कैसे मिलती है इन्हें ट्रेनिंग

इंडियन आर्मी में मुख्य रूप से बुद्धिमत्ता चपलता और अनुकूल क्षमता पहचान वाले कुत्तों के नस्लों को ही शामिल किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से जर्मन सेव्स माउंटेन, लैबराडोर आदि नस्ल के कुत्तों को शामिल किया जाता है।

इन कुत्तों को बेहद कठोर ट्रेनिंग दी जाती है। इन कुत्तों को बेहद सख्त ट्रेनिंग दी जाती है। इनका ट्रेनिंग मेरठ के रेमाउंट एंड वेटरनरी कॉप्स सेंटर एंड कॉलेज में होता है। इन्हें कम से कम 10 महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है। सशस्त्र बलों में शामिल होने से पहले इन कुत्तों की वफादारी और युद्ध कौशल को बेहतर बनाया जाता है इसके बाद हर कुत्ते को एक हैंडलर को सौंपा जाता है जो उन्हें विशेष प्रशिक्षण और मार्गदर्शन देते हैं। इन कुत्तों को ऐसी ट्रेनिंग दी जाती है कि यह कुत्ते अपने भौंकने की क्षमता को कंट्रोल कर पाते हैं। विशेष ट्रेनिंग की वजह से यह कुत्ते हर जगह मौजूद बम को पहचान पाते हैं। आपको बता दे की इंडियन आर्मी के डॉग्स को किसी भी तरह की सैलरी नहीं दी जाती है बल्कि रिटायरमेंट के बाद उनका देखरेख किया जाता है और उनका हर तरह का खर्च आर्मी उठाती है।

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