
Barbie Movie Review: लेडी बर्ड और लिटिल वुमन जैसी ऑस्कर विजेता मूवी बनाने वाली ग्रेटा गेरविग की नई मूवी ‘बार्बी’ Barbie इन दिनों खूब चर्चित है। इस फिल्म ‘बार्बी’ को प्लास्टिक नहीं बल्कि लाइव-एक्शन में बनाया गया है। दरअसल, हमेशा से “बार्बी” डॉल की छवि में पसंद की जाती रही है। न जाने कितने रंगों में लोगों ने देखा है इसे पर यह रंग जो ग्रेटा ने पेश किया है, वह सचमुच अलग और खास है।
हालांकि बार्बी का लुक, उसका घर, उसके कपड़े, या उसकी सजावट, सब कुछ एक परीकथा की तरह ही दर्शकों को आकर्षित करता है, लेकिन तब क्या होता है जब “बार्बी” सालों से बनाई गई शानदार छवि पर प्रश्नचिन्ह लगाती है? दरअसल, निर्देशक ने “बार्बी” की अपनी अस्तित्व की खोज के बहाने महिलाओं के लिए सदियों से चली आ रही धारणा को चुनौती दी है, साथ ही पेट्रियार्की को भी घायल कर दिया है।
Barbie फिल्म की कहानी
मार्गोट रॉबी (बार्बी) सपनों की दुनिया, यानी बार्बी लैंड में रहती है। सब कुछ इस देश में बेहद सुंदर है। पर एक दिन, बार्बी को अचानक मौत का विचार आता है, इसलिए उसे बार्बी भूमि से लोगों की असली दुनिया में भेज दिया जाता है, ताकि वह अपने साथ होने वाली चोट का पता लगा सके। उसकी इस यात्रा में केन भी उसके साथ जाता है, और फिर एक रोमांचक यात्रा शुरू होती है, जहां बार्बी इंसानी दुनिया की दुख और कड़वी सच्चाइयों से परिचित होती है।
अपने होने का अर्थ
उसे तब चोट पहुंचती है और बहुत आघात लगता है कि उसका लक्ष्य अच्छे लोगों को खुशी और सपने देना है, लेकिन असली दुनिया में एक वर्ग उसकी असली छवि से घृणा कर रहा है। केवल बार्बी ही नहीं उसकी तरह, केन भी अपने होने का अर्थ खोजने लगता है। एक आदमी जो सिर्फ बार्बी के लिए धड़कता है, वह वास्तविक जीवन में मर्द होने का महत्व जानता है और अब वह इस पुरुषवादी विचार को बार्बी की सुंदर दुनिया पर लागू करना चाहता है। क्या वह ऐसा कर सकता है? बार्बी लैंड और असली दुनिया के बीच क्या अंतर है? बस यह फिल्म आपको इन सवालों के जवाब देगी।
इमोशंस से भरपूर
निर्देशक के रूप में ग्रेटा की स्टोरी टेलिंग की कमाल की है। उन्होंने बार्बी, जो खूबसूरत है और किसी भी उपलब्धि को हासिल कर सकती है, वह डॉक्टर, वकील, नोबल पुरस्कार विजेता, एस्ट्रोनॉट सभी कुछ हो सकती है, मगर जब वह खुद को बदसूरत और अयोग्य समझने लगती है, तब उसके आंसू और इमोशंस को अपनी कहानी और कथ्यों के जरिए वे बहुत ही खूबसूरती से दिखा पाई हैं। वास्तविक दुनिया में रहने वाली ग्लोरिया (अमेरिका फरेरा) के माध्यम से एक दृश्य में महिलाओं से की जानी वाली अपेक्षाओं और उनके प्रति अन्यायपूर्ण रवैये को लेकर वे सवालों की झड़ी लगा देती हैं। यह दृश्य दिल को छू जाता है।
कमाल का सेट डिजाइन
रंग-बिरंगा सेट डिजाइन भी कमाल की है। इसे बार्बी के फेवरेट गुलाबी कलर से निखारा गया है। ग्रेटा भले नारीवाद की पैरवी करती दिखती हैं, मगर फिल्म के मनोरंजन के पलों में कमी नहीं आने देती। उनके विचित्र किरदार भी समा बांधे रहते हैं। जब भी कहानी अपने मुद्दे के कारण गंभीर होती है, निर्देशक उसे गानों और कॉमिडी के पंचेज से बोझिल होने से बचा लेती है।
मार्गोट की प्रशंसा
बार्बी के रूप में मार्गोट की प्रशंसा करनी चाहिए। उन्होंने प्लास्टिक गुड़िया के साथ-साथ मानव अवतार को बहुत ही कुशलता से पर्दे पर जिया है। बार्बी के रूप में डॉल का बॉडी लैंग्वेज को बेहद खूबसूरती से निभा ले जाती हैं। केन के रूप में रयान गोस्लिंग भी कहीं से उन्नीस साबित नहीं होते। ‘बार्बी’ के सबसे उपेक्षित किरदार को पर्दे पर करने के लिए काफी कुछ मिला है और रयान उसका पूरा फायदा उठाते हैं। वियर्ड बार्बी के रूप में केट मैकिनॉन जंच रही हैं। बॉस की भूमिका में विल फेरेल मनोरंजन करवाते हैं। एमराल्ड फेनेल और सहयोगी का अभिनय भी अच्छा है।
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