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Havan and Yagya: क्या है यज्ञ और हवन के बीच का अंतर, जाने कितने प्रकार के होते हैं यज्ञ

Havan and Yagya: हिंदू धर्म में हवन और यज्ञ एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। हवन और यज्ञ के बिना ज्यादातर शुभ कार्य पूर्ण नहीं माने जाते। किसी भी शुभ कार्य के लिए हवन या यज्ञ कराना आवश्यक होता है। यह शुद्धिकरण और भगवान के आवाह्न के लिए किया जाता है। धावन अथवा यज्ञ के माध्यम से देवी देवताओं को आहुति प्रदान की जाती है। हवन और यज्ञ पौराणिक काल से चली आ रही है जिसका उल्लेख और महाभारत में भी मिलता है। हालांकि ज्यादातर लोग हवन और यज्ञ को एक मानते हैं, किंतु ये दोनों भिन्न होते हैं। इस लेख में हम आपको हवन और यज्ञ के बीच के अंतर और इनके कुछ प्रकार के बारे में बताएंगे।

 

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हवन और यज्ञ के बीच का अंतर:
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार यज्ञ की रचना परम पिता ब्रह्माजी द्वारा की गई थी। इसकी परंपरा वैदिक युग से चली आ रही है और सभी वेदों में यज्ञ का वर्णन मिलता है। किसी भी यज्ञ में देवी देवताओं को अग्निमुख द्वारा वस्तुएं प्रदान की जाती है। किसी भी यज्ञ में प्रज्वलित की जाने वाली अग्नि को यज्ञाग्नि कहते हैं। किसी भी यज्ञ को आमतौर पर मनोकामना पूर्ति, अनिष्ट को टालने, वर्षा उर्वरता अथवा युद्ध में विजय प्राप्ति के लिए कराए जाते हैं। गीता के अनुसार मनुष्य का जीवन भी एक यज्ञ के समान है जिसमें सांसो की आहुति दी जाती है।

हवन की तस्वीर
हवन की तस्वीर

हवन यज्ञ का एक छोटा स्वरूप है जिसमें मंत्रों के उच्चारण के साथ अग्नि में आहुति दी जाती है। हवन के दौरान हवन कुंड मिनी को प्रज्वलित कर इसमें फल, लकड़ी, शहद, घी, गुड, अक्षत यानी चावल समेत अन्य पदार्थों की आहुति दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि हवन से आस-पास मौजूद किसी भी प्रकार की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ताऊ का नाश हो जाता है और वातावरण बिल्कुल शुद्ध हो जाता है।

 

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यज्ञ की तस्वीर

यज्ञ के प्रकार:
शास्त्रों के अनुसार यज्ञ पांच प्रकार के होते हैं। पहला ‘ब्रह्मायज्ञ’ , इसमें ईश्वर अथवा ईष्ट देवताओं की पूजा की जाती है । दूसरा ‘देवयज्ञ’, जिसमें देव पूजा तथा अग्निहोत्र कर्म किया जाता है । तीसरा ‘पितृयज्ञ’ जो श्राद्ध कार्यों के लिए किया जाता है । चौथा ‘वैश्वदेव यज्ञ’, इसे प्राणियों के लिए अन्न, जल की आवश्यकता के दौरान किया जाता है । पांचवा ‘अतिथि यज्ञ’ जिसमें मेहमानों की सेवा की जाती। इन सभी यज्ञ में हवन क्रिया ‘देवयज्ञ’ के अंतर्गत आती है। महाभारत अथवा रामायण में भी कई प्रकार के यज्ञों का वर्णन मिलता है जिसमें पुत्रेष्ठी, अश्वमेघ, राजसूय आदि यज्ञ शामिल है।

(यह ख़बर विधान न्यूज के साथ इंटर्नशिप कर रहे गौरव श्रीवास्तव द्वारा तैयार की गई है)

 

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