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Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami : ये हैं कालभैरव जी को प्रसन्न करने के 11 उपाय, कोई भी 1 आजमा कर देंखे 

Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami : भगवान शिव शंकर के अवतारों में से काल भैरव को भी एक अवतार माना गया है। इस दिन काल भैरव सच्चे मन से पूजा अर्चना करने से जातक की सभी मनोकानाएं पूर्ण होती है।

Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami
Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami

Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami : हिंदू सनातन धर्म में काल भैरव को भगवान शिव शंकर के अवतारों में से एक माना गया है। हर साल मार्गशीर्ष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को काल भैरवजी अष्टमी यानी काल भैरव जयंती के रूप मनाया जाता है। शिव भक्त कालाष्टमी का पावन पर्व विशेष रुप से मनाते हैं। धर्म ग्रंथों में काल भैरव जी को तंत्र का देवता माना गया है। तंत्र शास्त्र के मुताबिक किसी भी सिद्धि की प्राप्ति के लिए भैरवजी की पूजा-अर्चना की जाती हैं।

मान्यता के मुताबिक इनकी कृपा के बिना तंत्र साधना पूरी नहीं होती। धर्म शास्त्रों में इनके 52 रूप बताए गए हैं। मान्यता है कि इनकी कृपा से भक्त निर्भय होते है और उन्हें भी कष्टों से मुक्त मिलती है। आइये कालभैरव जी जयंती के मौके पर भागवताचार्य आचार्य आशीष राघव द्विवेदी जी से कुछ ऐसे आसान उपायों (Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami Ke Upay) के बारे में जानते हैं जिसे करने से भगवान कालभैरव जी प्रसन्न होकर आपके और हमारे जीवन में साकारात्म उर्जा का संचार कर जीवन के खुशियों से भर दें…

ये हैं कालभैरव जी को प्रसन्न करने के 11 उपाय (Kaal Bhairav Jayanti, Kaal Bhairava Ashtami Ke Upay), इनमें से कोई 1 उपाय आप कर सकते हैं… 

1. काल भैरवाष्टमी के दिन सुबह प्रात: काल स्नानादि करके कुश के आसन पर बैठ जाएं और भगवान कालभैरव जी की तस्वीर स्थापित कर पंचोपचार से विधिवत उनकी पूजा-अर्चना करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे मंत्र ‘ॐ हं षं नं गं कं सं खं महाकाल भैरवाय नम:’ की कम से कम पांच माला जाप करें। इसके बाद भैरव जी महाराज से सुख-संपत्ति और शांति के लिए प्रार्थना करें।

2. कालभैरवाष्टमी के दिन किसी ऐसे भैरवजी मंदिर में जाएं, जहां कम लोग आते हों। वहां जाकर सिंदूर और तेल के साथ भैरव जी प्रतिमा को चोला चढ़ाएं। इसके बाद सच्चे मन से उनका ध्यान करते हुए नारियल, पुए, जलेबी आदि का उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद सभी लोगों में प्रसाद वितरित कर खुद भी ग्रहण करें। भैरव जी की पूजा-अर्चना से भैरवनाथ जी विशेष रुप से प्रसन्न होते हैं।

3. कालभैरवमी के दिन भगवान कालभैरव जी की विधि-वत से पूजा-अर्चना करते हुए नीचे लिखे किसी भी एक मंत्र का ध्यान लगाकर कम से कम 11 माला का जाप जरूर करें।
ॐ कालभैरवाय नम:।
ॐ भयहरणं च भैरव:।
ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरूकुरू बटुकाय ह्रीं।
ॐ भ्रां कालभैरवाय फट्

4. कालभैरवाष्टमी की सुबह-सुबह भगवान कालभैरव जी की उपासना करें और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाकर उनसे सभी समस्याओं से मुक्ति और अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए उनका ध्यान और प्रार्थना करें।

5. कालभैरवआष्टमी के दिन 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ॐ नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। साथ ही संभव हो तो उन्हें एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करें। मान्यता है कि ऐसा करने से इससे आपकी सभी मनोरथ पूर्ण हो सकती हैं।

6. कालभैरवाष्टमी के दिन को एक रोटी लेकर उसपर अपनी तर्जनी और मध्यमा अंगुली से तेल में डुबोकर एक लाइन खींचें। इसके बाद इस रोटी को किसी भी दो रंग वाले कुत्ते को खिला दें। लगातार तीन दिन (रविवार, बुधवार व गुरुवार) ऐसा करें। मान्यता के मुताबिक ये तीन दिन भैरवनाथ जी के माने गए हैं।

7. अगर आप कर्ज से परेशान हैं और इससे मुक्ति चाहते हैं तो कालभैरवाष्टमी के दिन प्रात:काल नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नाना करे और फिर भगवान शिवजी की पूजा-अर्चना करें। पूजा के दौरान उन्हें बिल्व पत्र अवश्य अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिवजी के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर ‘ॐ ऋणमुक्तेश्वराय नम:’ मंत्र का कम से कम 11 बार जप जरूर करें।

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8. कालभैरवाष्टमी के एक दिन पहले सरसों तेल में उड़द की दाल के पकौड़े बनाएं और रात भर उसे ढककर रखें। सुबह जल्दी उठकर बिना किसी से कुछ बोलें घर से निकलें और कुत्तों को खिला दें। ऐसा करने से काल भैरव काफी प्रसन्न होते हैं।

9. कालभैरवाष्टमी के एक दिन सवा किलो जलेबी भगवान भैरवनाथ जी को चढ़ाएं और उस प्रसाद को गरीबों में बांट दें। साथ ही संभव हो तो पांच नींबू भी भैरवजी को चढ़ाएं। किसी कोढ़ी, भिखारी यानी जरूरत मंदों को काला कंबल दान करना काफी उत्तम माना गया है।

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10. कालभैरवाष्टमी के दिन सरसों के तेल में पापड़, पकौड़े, पुए जैसे पकवान बनाकर गरीबों बांट दें। साथ ही घर के नजदीक स्थित किसी भैरव जी मंदिर में गुलाब, चंदन और गूगल की खुशबूदार 33 अगरबत्ती (बिना बांस के तीले वाली) जरूर जलाएं।

11. भैरवाष्टमी के दिन सवा सौ ग्राम काले तिल, सवा सौ ग्राम काले उड़द, सवा 11 रुपए, सवा मीटर काले कपड़े में पोटली बनाकर भैरवनाथ जी के मंदिर में चढ़ाएं।

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आचार्य आशीष राघव द्विवेदी, भागवताचार्य (ज्योतिष रत्न), संपर्क सूत्र: 9935282234

(डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष पर आधारित है। यहां केवल सूचना के लिए दी जा रही है। Vidhan News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।)

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