Shubh Labh: हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य के दौरान कई ऐसी चीजें होती हैं जिन्हें शुभ माना जाता है। इन्हीं में से एक है शुभ-लाभ का प्रतीक। मान्यता है कि घर के बाहर शुभ-लाभ लिखने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। यहां लाभ लिखने का मतलब है कि साधक अपनी आय और व्यापार में लाभ की कामना करता है। वहीं शुभ लिखने का मतलब है कि जीवन में शुभता बनी रहे।
- कौन हैं शुभ और लाभ
- शुभ-लाभ का महत्व
- इस दिशा में बनाना बेहतर होता है
कौन हैं शुभ और लाभ
बता दें कि शुभ और लाभ भगवान गणेश के पुत्र हैं। शास्त्रों में कहा गया है कि ऋद्धि और सिद्धि जो प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां हैं, उनका विवाह गणेश जी से किया गयाथा। सिद्धि से शुभ और ऋद्धि से लाभ दो पुत्रों का जन्म हुआ। इन्हें शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता है। स्वास्तिक को भगवान गणेश का स्वरूप माना जाता है। यही वजह है कि स्वास्तिक के साथ शुभ-लाभ का चिह्न भी बनाया जाता है।
शुभ-लाभ का महत्व
घर या ऑफिस में शुभ-लाभ चिन्ह लगाने से सुख-समृद्धि और धन-संपत्ति बनी रहती है। साथ ही साधक को भगवान गणेश की कृपा भी प्राप्त होती है। इतना ही नहीं ज्योतिष शास्त्र में भी चौघड़िया या शुभ मुहूर्त देखते समय अमृत के अलावा लाभ और शुभ मुहूर्त देखना जरूरी माना जाता है।
इस दिशा में बनाना बेहतर होता है
- उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में स्वास्तिक के साथ शुभ-लाभ चिन्ह बनाना ज्यादा शुभ माना जाता है।
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्वास्तिक के दाएं और बाएं तरफ शुभ-लाभ लिखने से वास्तु दोष दूर होते हैं।
- आप चाहे तो अपने घर में इसकी जगह अष्टधातु या तांबे से बना स्वास्तिक चिन्ह लगा सकते हैं।
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