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Supreme Court में कब से पेंडिंग हैं मामले!

Supreme Court: भारत में कानूनी/न्यायिक विलम्ब सिर्फ निचली अदालत का मुद्दा नहीं है, यह देश की सर्वोच्च अदालत को भी प्रभावित करती है| एक नए...

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Supreme Court: भारत में कानूनी/न्यायिक विलम्ब सिर्फ निचली अदालत का मुद्दा नहीं है, यह देश की सर्वोच्च अदालत को भी प्रभावित करती है| एक नए अध्ययन से पता चला है जिसके निष्कर्ष ‘कोर्ट ऑन ट्रायल: ए डेटा-ड्रिवेन अकाउंट ऑफ द सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया’ नामक पुस्तक में प्रस्तुत किए गए हैं। पुस्तक के अनुसार नवंबर 2018 तक सुप्रीम कोर्ट में 39.57 प्रतिशत मामले पांच साल से अधिक समय से और अतिरिक्त 7.74 प्रतिशत मामले 10 साल से अधिक समय से अटके हुए हैं।

इस महीने पेंगुइन इंडिया द्वारा प्रकाशित पुस्तक नवंबर 2018 में भारत के सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट से ली गई जानकारी से बने डेटा का उपयोग करती है। डेटा में 2000 से 2018 तक के वर्षों को शामिल किया गया है और इसमें दस लाख से अधिक लंबित और निर्णय लिए गए मामले शामिल हैं, जिनके बारे में जानकारी सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

कोर्ट ऑन ट्रायल को नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु में कानून की एसोसिएट प्रोफेसर अपर्णा चंद्रा ने लिखा है। यह सर्वोच्च न्यायालय का डेटा-संचालित विवरण प्रस्तुत करती है और सुधार के लिए एक व्यावहारिक एजेंडा प्रस्तावित भी करती है।

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